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Rishabh Pant: ऋषभ पंत ने रणजी ट्रॉफी में कप्तानी का ऑफर ठुकराया, बताया बड़ी वजह

Rishabh Pant: रणजी ट्रॉफी 2024-25 का दूसरा राउंड 23 जनवरी से शुरू होने जा रहा है, जिसमें भारतीय टीम के कई स्टार खिलाड़ी अपने-अपने राज्यों की टीमों से खेलते नजर आएंगे। इन्हीं में से एक नाम भारतीय क्रिकेट टीम के स्टार विकेटकीपर बल्लेबाज ऋषभ पंत का है, जो दिल्ली की टीम से सौराष्ट्र के खिलाफ राजकोट के मैदान पर मुकाबला खेलेंगे। हालांकि, इस मुकाबले से पहले दिल्ली क्रिकेट संघ ने पंत को टीम की कप्तानी का ऑफर दिया था, जिसे उन्होंने ठुकरा दिया।

2018 के बाद पहली बार रणजी ट्रॉफी में खेलेंगे पंत

ऋषभ पंत 2018 के बाद पहली बार रणजी ट्रॉफी में खेलते हुए नजर आएंगे। क्रिकबज की एक रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने दिल्ली की टीम की कप्तानी करने से इनकार कर दिया है। अब यह जिम्मेदारी आयुष बडोनी को सौंपी जा सकती है। पंत ने खुद को कप्तानी से दूर रखने का फैसला इसलिए लिया है क्योंकि वह लगातार सभी मैचों में उपलब्ध नहीं रह पाएंगे। इसके पीछे एक बड़ी वजह यह भी है कि पंत का चयन 2025 में होने वाली चैंपियंस ट्रॉफी के लिए भारतीय टीम में तय माना जा रहा है।

टीम का संतुलन बनाए रखने पर दिया जोर

दिल्ली क्रिकेट संघ के एक सूत्र के मुताबिक, पंत ने कप्तानी ठुकराने का कारण टीम का संतुलन बताया। उन्होंने कहा कि कप्तान के तौर पर टीम में लौटने से मौजूदा टीम का तालमेल बिगड़ सकता है। पंत ने वर्तमान कप्तान और कोच सरनदीप सिंह पर अपना पूरा भरोसा जताते हुए टीम में खिलाड़ी के रूप में योगदान देने का फैसला किया।

दिल्ली की स्थिति और पंत का रिकॉर्ड

दिल्ली की टीम फिलहाल रणजी ट्रॉफी 2024-25 में ग्रुप-डी में 19 अंकों के साथ संयुक्त रूप से दूसरे स्थान पर है। ऐसे में पंत का टीम में शामिल होना दिल्ली के लिए बड़ी ताकत साबित हो सकता है। पंत के फर्स्ट क्लास करियर की बात करें तो उन्होंने 68 मैचों में 46.36 की औसत से 4868 रन बनाए हैं, जिनमें 11 शतक और 24 अर्धशतक शामिल हैं।

कप्तानी का फैसला क्यों अहम है?

पंत का कप्तानी से इनकार करना उनकी समझदारी और टीम के प्रति जिम्मेदारी को दर्शाता है। वह जानते हैं कि कप्तानी के साथ आने वाली जिम्मेदारियां मैचों के दौरान उनकी फिटनेस और प्रदर्शन पर असर डाल सकती हैं। इसके साथ ही, उनका यह फैसला टीम के बाकी खिलाड़ियों को भी प्रोत्साहित करता है कि मौजूदा नेतृत्व पर भरोसा बनाए रखें और टीम के लिए बेहतर योगदान दें।

ऋषभ पंत का यह फैसला उनके व्यक्तिगत और टीम हित को प्राथमिकता देने का एक बेहतरीन उदाहरण है, जो आने वाले मुकाबलों में दिल्ली टीम को मजबूती प्रदान करेगा।

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