हाल ही में भारतीय टेलीकॉम इंडस्ट्री में एक सकारात्मक खबर सामने आई है, जो करोड़ों मोबाइल यूजर्स को राहत पहुंचा सकती है। देश की प्रमुख प्राइवेट टेलीकॉम कंपनियां—जैसे Jio, Airtel और Vodafone Idea—ने अपने महंगे रिचार्ज प्लान्स में संभावित कमी लाने के लिए सरकार से विशेष मांग की है। इन कंपनियों ने सरकार से अपील की है कि लाइसेंस फीस में कमी की जाए ताकि वे उपभोक्ताओं को किफायती रिचार्ज प्लान्स उपलब्ध करा सकें और बेहतर नेटवर्क सुविधाएं दे सकें।
COAI की सरकार से मांग
सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (COAI), जो भारत की टेलीकॉम कंपनियों का प्रतिनिधित्व करती है, ने सरकार से लाइसेंस फीस घटाने का अनुरोध किया है। COAI के अनुसार, टेलीकॉम ऑपरेटर्स वर्तमान में अपने कुल राजस्व का लगभग 8% लाइसेंस फीस के रूप में चुकाते हैं, जिसमें से 5% नेटवर्क ऑब्लिगेशन चार्ज के तहत आता है। COAI का सुझाव है कि यह फीस घटाकर 0.5% से 1% तक की जाए।
COAI का मानना है कि अगर लाइसेंस फीस को कम किया जाता है, तो टेलीकॉम कंपनियों के लिए अपने नेटवर्क का अपग्रेडेशन और विस्तार करना सरल हो जाएगा। साथ ही, यूजर्स को ज्यादा सस्ती और उच्च गुणवत्ता वाली सेवाएं दी जा सकेंगी, जिससे उन्हें महंगे रिचार्ज प्लान्स का सामना नहीं करना पड़ेगा।
लाइसेंस फीस पर विवाद: स्पेक्ट्रम से अलग करने के बाद मुद्दा
COAI के महानिदेशक एसपी कोचर ने कहा कि 2012 में स्पेक्ट्रम को लाइसेंस से अलग कर दिया गया था, जिसके बाद से लाइसेंस फीस के लिए तर्कसंगतता खत्म हो चुकी है। वर्तमान में स्पेक्ट्रम को नीलामी प्रक्रिया द्वारा आवंटित किया जाता है और इसका शुल्क बाजार मूल्य के आधार पर तय होता है। ऐसे में लाइसेंस फीस की आवश्यकता केवल प्रशासनिक खर्चों के लिए होनी चाहिए, जो टेलीकॉम ऑपरेटर्स का मानना है कि अधिकतम 1% तक होना चाहिए।
टेलीकॉम कंपनियां यह भी कह रही हैं कि अधिक लाइसेंस फीस चुकाने से उनके पास नेटवर्क सुधार और अपग्रेडेशन के लिए निवेश करने के लिए सीमित फंड बचता है। टेलीकॉम ऑपरेटर्स का कहना है कि वे AGR (एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू) के अलावा CSR (कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी), GST और अन्य टैक्स का भुगतान भी कर रही हैं, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति कमजोर हो रही है।
टेलीकॉम इंडस्ट्री को संभावित लाभ
हाल ही में आयोजित इंडिया मोबाइल कांग्रेस में कई टेलीकॉम कंपनियों के अधिकारियों ने लाइसेंस फीस में कमी की आवश्यकता पर जोर दिया। उनका मानना है कि अगर सरकार COAI की इस मांग को स्वीकार करती है, तो इससे न केवल इंडस्ट्री को राहत मिलेगी बल्कि कंपनियों को उपभोक्ताओं के लिए सस्ते रिचार्ज प्लान्स उपलब्ध कराने में मदद मिलेगी। इसके अतिरिक्त, कंपनियां नए तकनीकी अपग्रेडेशन में निवेश कर सकेंगी जिससे ग्राहकों को बेहतर सेवाएं मिलेंगी।
ग्राहकों के लिए गुड न्यूज़
अगर सरकार टेलीकॉम ऑपरेटर्स की लाइसेंस फीस में कटौती की मांग को मान लेती है, तो Jio, Airtel और Vodafone जैसे बड़े टेलीकॉम ऑपरेटर्स के रिचार्ज प्लान्स में संभावित कमी आ सकती है। इसका सीधा लाभ यूजर्स को मिलेगा, जिनके लिए डेटा, कॉलिंग और अन्य टेलीकॉम सेवाएं सस्ती हो सकती हैं।