DESK: देश की दूसरी सबसे बड़ी टेलिकॉम कंपनी Airtel ने ऑनलाइन फ्रॉड से सुरक्षा के क्षेत्र में बड़ी उपलब्धि हासिल की है। कंपनी ने दावा किया है कि झारखंड और बिहार में उसने 61 लाख से अधिक मोबाइल यूजर्स को ऑनलाइन फ्रॉड से बचाया है। यह उपलब्धि Airtel की नई AI आधारित फ्रॉड डिटेक्शन सिस्टम के जरिए हासिल हुई है, जिसे कुछ ही समय पहले लॉन्च किया गया है।
37 दिन में मिली बड़ी सफलता
Airtel ने बताया कि AI फ्रॉड डिटेक्शन सिस्टम को देशभर में लागू करने के सिर्फ 37 दिनों के भीतर यह बड़ी कामयाबी मिली है। इस सिस्टम की खासियत यह है कि यह SMS, सोशल मीडिया, ईमेल और वेब ब्राउजिंग के दौरान मिलने वाले संदिग्ध लिंक को पहचानता है और सिर्फ 100 मिली सेकंड में उसे ब्लॉक कर देता है। साथ ही यूजर को चेतावनी वाला अलर्ट मैसेज भी भेजा जाता है।
हर दिन एक अरब से ज्यादा लिंक की जांच
Airtel के मुताबिक, यह AI सिस्टम हर दिन 1 अरब से अधिक लिंक को स्कैन करता है। उदाहरण के तौर पर अगर किसी यूजर को कोई नकली मैसेज मिलता है—जैसे “आपकी डिलीवरी में देरी हुई है, ट्रैक करने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें”—तो जैसे ही यूजर लिंक पर क्लिक करता है, AI सिस्टम तुरंत सक्रिय हो जाता है। अगर लिंक संदिग्ध है तो उसे ब्लॉक कर दिया जाता है और यूजर को फ्रॉड से बचा लिया जाता है।
डिजिटल साक्षरता वाले क्षेत्रों में मिल रही मदद
Airtel ने बताया कि यह तकनीक खासकर उन इलाकों में बेहद कारगर साबित हो रही है, जहां डिजिटल साक्षरता कम है या जहां लोग अंग्रेजी भाषा में सहज नहीं हैं। कंपनी की AI प्रणाली यूजर्स को उनकी मनपसंद भाषा, जैसे हिंदी, में फ्रॉड अलर्ट देती है, जिससे वे आसानी से धोखाधड़ी से बच सकें।
एयरटेल सीईओ का बयान
Airtel झारखंड और बिहार के CEO सुजय चक्रवर्ती ने कहा,
“हमें पूरा विश्वास है कि यह AI तकनीक झारखंड और बिहार के मोबाइल यूजर्स को साइबर खतरों से सुरक्षा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। हमने इन क्षेत्रों में तेजी से बढ़ते साइबर अपराधों को देखते हुए इस तकनीक को लागू किया है, और इसका सकारात्मक असर दिखने भी लगा है।”
Airtel का सुरक्षा को लेकर बड़ा कदम
Airtel की यह पहल ना सिर्फ कंपनी की तकनीकी मजबूती को दिखाती है, बल्कि देशभर में ऑनलाइन फ्रॉड से लड़ने के लिए उठाया गया यह एक महत्वपूर्ण कदम भी है। ऐसे समय में जब हर दिन हजारों लोग ऑनलाइन फ्रॉड का शिकार हो रहे हैं, Airtel की यह पहल लाखों लोगों के लिए डिजिटल ढाल बन रही है।