पटना में बीपीएससी की तैयारी कर रही छात्रा ने की आत्महत्या: डिप्रेशन और असफलता बनी कारण

On: Sunday, October 6, 2024 10:44 AM
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पटना में एक बार फिर से एक छात्रा की आत्महत्या की दुखद घटना सामने आई है। बीपीएससी (बिहार लोक सेवा आयोग) की तैयारी कर रही सहरसा जिले की एक छात्रा ने पटना के कदमकुआं थाना क्षेत्र के मुसल्लहपुर किसान कोल्ड गली में स्थित किराए के मकान में आत्महत्या कर ली। घटना ने सभी को स्तब्ध कर दिया है, खासकर छात्रों और उनके परिजनों को, जो उच्च शिक्षा और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं। पुलिस ने मौके से एक सुसाइड नोट और छात्रा का मोबाइल बरामद किया है।

छात्रा लगभग ढाई साल से पटना में रहकर बीपीएससी की तैयारी कर रही थी। उसके रूम पार्टनर के अनुसार, शुक्रवार को वह कोचिंग क्लास के लिए जाने वाली थी, लेकिन उसने कहा कि “आज तुम जाओ, मेरा मन नहीं है।” रूम पार्टनर के क्लास जाने के बाद, छात्रा ने खुदकुशी कर ली। जब रूम पार्टनर वापस लौटी तो उसने छात्रा को मृत पाया। घटना की जानकारी तुरंत पुलिस को दी गई।

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सुसाइड नोट में छात्रा ने अपने जीवन से तंग आकर आत्महत्या करने का कारण बताया है। उसने लिखा कि वह लगातार असफलताओं से परेशान थी और धीरे-धीरे डिप्रेशन में जा रही थी। सुसाइड नोट में उसने यह भी स्पष्ट किया कि उसके इस फैसले के लिए उसके माता-पिता को दोष नहीं दिया जाना चाहिए। “अब जीना नहीं चाहती,” उसने लिखा, जो उसके मानसिक संघर्ष और निराशा की गहराई को दर्शाता है।

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छात्रा खान सर की कोचिंग में पढ़ाई कर रही थी और काफी समय से बीपीएससी की परीक्षाओं की तैयारी कर रही थी, लेकिन उसे सफलता नहीं मिल रही थी। बार-बार असफल होने की वजह से वह निराशा और अवसाद की स्थिति में चली गई थी। लगातार तनाव और मानसिक दबाव के चलते उसने यह दुखद कदम उठाया।

कदमकुआं थाने के थानाध्यक्ष राजीव कुमार ने घटना की पुष्टि करते हुए बताया कि पुलिस मामले की छानबीन कर रही है। शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया और फिर उसे परिजनों को सौंप दिया गया है। इस घटना ने प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य पर एक बार फिर से ध्यान आकर्षित किया है, जहां निरंतर दबाव और असफलता से निपटना मुश्किल हो सकता है।

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यह घटना एक बार फिर से यह बताती है कि प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्रों के लिए मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना कितना महत्वपूर्ण है। उम्मीद की जाती है कि इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए शिक्षा व्यवस्था और समाज को एक साथ मिलकर उपाय करने होंगे, ताकि छात्रों को मानसिक समर्थन और सही दिशा मिल सके।

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