Mahakumbh 2025 Shahi Snan: प्रयागराज में आगामी 13 जनवरी से शुरू होने वाला महाकुंभ मेला 2025 का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन होगा, जो 45 दिनों तक चलेगा और 26 फरवरी 2025 को महाशिवरात्रि के दिन समाप्त होगा। महाकुंभ के इस विशेष मौके पर कुल 6 शाही स्नान होंगे, जिनमें से एक शाही स्नान बसंत पंचमी के दिन किया जाएगा। इस साल बसंत पंचमी 3 फरवरी 2025 को पड़ रही है, और इसी दिन महाकुंभ में चौथा शाही स्नान आयोजित किया जाएगा।
महाकुंभ में शाही स्नान का महत्व
महाकुंभ मेला धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण होता है, और इसे लेकर हिंदू धर्म में विशेष मान्यता है। महाकुंभ के दौरान छह प्रमुख शाही स्नान किए जाते हैं, जिनमें हर स्नान का समय और तिथि शास्त्रों के अनुसार तय होती है। इन शाही स्नानों के दौरान लाखों की संख्या में श्रद्धालु गंगा नदी और संगम तट पर स्नान करने के लिए आते हैं, जिससे उनकी आत्मा को शुद्धि मिलती है और पापों का नाश होता है।
बसंत पंचमी पर चौथा शाही स्नान
इस बार बसंत पंचमी 3 फरवरी 2025 को मनाई जाएगी और इसी दिन महाकुंभ में चौथा शाही स्नान होगा। इस दिन स्नान का ब्रह्म मुहूर्त सुबह 5 बजकर 23 मिनट से शुरू होगा, जो सुबह 6 बजकर 16 मिनट तक रहेगा। यह समय विशेष रूप से शुभ माना जाता है, और श्रद्धालु इस दौरान गंगा में डुबकी लगाकर पुण्य अर्जित करेंगे।
बसंत पंचमी का महत्व
हिंदू धर्म में बसंत पंचमी का अत्यधिक धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है। यह दिन मां सरस्वती की पूजा का पर्व होता है, जो वाणी, संगीत, और ज्ञान की देवी मानी जाती हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान ब्रह्मा की प्रार्थना से ही मां सरस्वती प्रकट हुई थीं, और उनकी वीणा की मधुर तान से संसार में वाणी का संचार हुआ था। इस दिन से बसंत ऋतु की शुरुआत भी मानी जाती है, जब वातावरण में हरियाली और ताजगी का संचार होता है।
बसंत पंचमी को लेकर एक विशेष मान्यता यह भी है कि इस दिन से शीत ऋतु का अंत होता है और ग्रीष्म ऋतु का आगमन होता है। यह दिन विशेष रूप से शिक्षा, कला, और संगीत में रुचि रखने वालों के लिए शुभ माना जाता है।
बसंत पंचमी और महाकुंभ
महाकुंभ में बसंत पंचमी के दिन विशेष धार्मिक अनुष्ठान और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। श्रद्धालु इस दिन को खुशी और उल्लास के साथ मनाते हैं, और हर ओर रंग-बिरंगे फूलों की बगिया की तरह माहौल रहता है। महाकुंभ के दौरान इस दिन का महत्व और भी बढ़ जाता है क्योंकि यहां लाखों लोग पवित्र संगम में स्नान करने के लिए इकट्ठा होते हैं।
निष्कर्ष
बसंत पंचमी महाकुंभ के चौथे शाही स्नान के रूप में एक महत्वपूर्ण दिन होगा, जो न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि सांस्कृतिक और प्राकृतिक दृष्टि से भी अत्यंत विशेष माना जाता है। इस दिन का स्नान, मां सरस्वती की पूजा, और नए मौसम की शुरुआत समग्र रूप से भारतीय संस्कृति और धार्मिक मान्यताओं का प्रतीक है।