Religion

Mahakumbh 2025: महाकुंभ आ रहे हैं तो प्रयागराज के इन मंदिरों में अवश्य करें दर्शन, यात्रा मानी जाती है पूरी

Prayagraj Famous Temple: प्रयागराज में 13 जनवरी से महाकुंभ की शुरुआत होने जा रही है. ये दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक उत्सव है. ये धार्मिक उत्सव 45 दिनों तक चलेगा. महाकुंभ का समापन 26 फरवरी को महाशिवरात्रि के दिन होगा . तमाम अखाड़ों के साधु संतों के साथ श्रद्धालु बड़ी तादाद में त्रवेणी संगम में आस्था की डुबकी लगाएंगे.

यहां कुछ प्रसिद्ध मंदिर भी हैं, जिनके दर्शन के बाद ही प्रयागराज की यात्रा पूरी मानी जाती है. प्रयागराज आने के बाद इन मंदिरों में दर्शन अनिवार्य माना जाता है. ऐसे में अगर आप भी महाकुंभ में स्नान के लिए आ रहे हैं, तो संगम में स्नान के बाद इन मंदिरों में दर्शन के लिए अवश्य जाइए. आइए जानते हैं प्रयागराज के इन मंदिरों के बारे में.

लेटे हनुमान जी

देश में बजरंगबली के बहुत मंदिर हैं. देश के सभी मंदिरों में हनुमान जी की मूर्ति खड़ी है, लेकिन एक ऐसा मंदिर है, जहां वो लेटे हुए हैं. इसको लेटे हुए हनुमान जी मंदिर के नाम से जाना जाता है. ये प्रयागराज में स्थित है. यहां हनुमान जी की प्रतिमा 20 फिट की है. मान्यता है कि संगम में स्नान के बाद लेटे हुए हनुमान जी के दर्शन अवश्य करना चाहिए. अगर यहां आकर हनुमान जी का दर्शन न किए जाएं तो प्रयागराज आना व्यर्थ हो जाता है.

नागवासुकी मंदिर

प्रयागराज में नागवासुकी मंदिर है. ये बहुत ही प्रसिद्ध मंदिर है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, समुद्र मंथन के लिए देवताओं और असुरों ने नागवासुकी का रस्सी के रूप में उपयोग किया था. इस वजह से वो घायल हो गए थे. फिर भगवान विष्णु ने उन्हें प्रयागराज में आराम करने के लिए कहा था. यही कारण है कि यहां वो विराजमान हैं. अगर आप महाकुंभ में आ रहे हैं, तो नागवासुकी मंदिर में दर्शन के लिए अवश्य जाएं.

अलोपी मंदिर

प्रयागराज में अलोपी मंदिर है. यह मंदिर शक्तिपीठों में से एक है. यहांं देवी दूर्गा की प्रतिमा की पूजा नहीं की जाती, बल्कि यहां चुनरी में लिपटे एक पालने को पूजा जाता है. प्रयागराज में मां दुर्गा को अलोपशंकरी के रूप में जाना जाता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, यहां माता सती के दाहिने हाथ का पंजा गिरा था, जो गायब हो गया था. इस वजह से इस मंदिर का नाम अलोप शंकरी पड़ा. प्रयागराज आने पर इस मंदिर में भी अवश्य जाना चाहिए.

अक्षयवट मंदिर

प्रयागराज में एक बहुत पुराना बरगद का पेड़ है. इसे अक्षयवट कहा जाता है. माना जाता है कि ये पेड़ तीन हजार साल भी अधिक पूराना है. इसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग आया करते हैं. महाकुंभ आए श्रद्धालुओं को अक्षयवट अवश्य देखना चाहिए.

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है. topbihar.com इसकी पुष्टि नहीं करता है.

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