Mahakumbh 2025 Shahi Snan: प्रयागराज में 2025 में महाकुंभ का आयोजन 13 जनवरी से शुरू होकर 26 फरवरी तक चलेगा। यह 45 दिनों तक चलने वाला धार्मिक महोत्सव आस्था और विश्वास का संगम होगा, जहां लाखों श्रद्धालु त्रिवेणी संगम में पवित्र डुबकी लगाकर पुण्य लाभ प्राप्त करेंगे। इस महाकुंभ में कुल 6 शाही स्नान होंगे, जिन्हें हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। आइए जानते हैं इन शाही स्नानों की तिथियां और शुभ मुहूर्त।
1. पौष पूर्णिमा (13 जनवरी)
महाकुंभ का पहला शाही स्नान पौष पूर्णिमा पर होगा। इस दिन का ब्रह्म मुहूर्त सुबह 5:27 बजे से शुरू होकर सुबह 6:21 बजे तक रहेगा। श्रद्धालु इस पवित्र स्नान से पुण्य और आध्यात्मिक लाभ प्राप्त करेंगे।
2. मकर संक्रांति (15 जनवरी)
दूसरा शाही स्नान मकर संक्रांति के पावन अवसर पर होगा। इस दिन स्नान का ब्रह्म मुहूर्त सुबह 5:27 बजे से 6:21 बजे तक रहेगा। मकर संक्रांति पर स्नान के बाद दान करने की प्रथा है, जिसे अत्यंत पुण्यकारी माना जाता है।
3. मौनी अमावस्या (29 जनवरी)
महाकुंभ का तीसरा और सबसे बड़ा शाही स्नान मौनी अमावस्या पर होगा। इस दिन का स्नान विशेष महत्व रखता है। ब्रह्म मुहूर्त सुबह 5:25 बजे से 6:18 बजे तक रहेगा। ऐसा माना जाता है कि इस दिन संगम में स्नान से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
4. बसंत पंचमी (3 फरवरी)
चौथा शाही स्नान बसंत पंचमी के शुभ अवसर पर होगा। ब्रह्म मुहूर्त सुबह 5:23 बजे से 6:16 बजे तक रहेगा। इस दिन संगम में स्नान करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और आध्यात्मिक उन्नति मिलती है।
5. माघी पूर्णिमा (12 फरवरी)
पांचवां शाही स्नान माघी पूर्णिमा के दिन होगा। इस दिन का ब्रह्म मुहूर्त सुबह 5:19 बजे से 6:10 बजे तक रहेगा। माघी पूर्णिमा पर स्नान करने से विशेष पुण्य लाभ और आध्यात्मिक शुद्धि मिलती है।
6. महाशिवरात्रि (26 फरवरी)
महाकुंभ का अंतिम शाही स्नान महाशिवरात्रि के दिन होगा। इस दिन ब्रह्म मुहूर्त सुबह 5:09 बजे से 5:59 बजे तक रहेगा। महाशिवरात्रि पर स्नान और शिव पूजा का विशेष महत्व है। इसी दिन महाकुंभ का समापन भी होगा।
महत्व और धार्मिक आस्था
महाकुंभ में शाही स्नान का महत्व अद्वितीय है। हिंदू धर्म में इसे आत्मा की शुद्धि और मोक्ष प्राप्ति का साधन माना गया है। त्रिवेणी संगम का पवित्र जल और शुभ मुहूर्त में स्नान धर्म और अध्यात्म के प्रति श्रद्धा को प्रबल बनाता है।
महाकुंभ 2025 में शामिल होने वाले श्रद्धालुओं के लिए यह अवसर एक अद्वितीय अनुभव और आध्यात्मिक यात्रा साबित होगा।