Diwali 2024: भारत में दीपावली का पर्व बड़े हर्षोल्लास से मनाया जाता है। पांच दिवसीय दीपोत्सव 29 अक्टूबर 2024 से शुरू होकर 3 नवंबर 2024 को भाई दूज पर समाप्त होगा। इस पर्व में धनतेरस, नरक चतुर्दशी, दीपावली, गोवर्धन पूजा और भाई दूज शामिल होते हैं। आइए जानते हैं प्रत्येक दिन के महत्व, पूजा विधि, मुहूर्त और मान्यताओं के बारे में विस्तार से।
1. धनतेरस (29 अक्टूबर)
धनतेरस से दीपावली का शुभारंभ होता है। इस दिन मां लक्ष्मी, भगवान कुबेर और भगवान धन्वंतरि की पूजा विशेष रूप से की जाती है। मान्यता है कि इस दिन शुभ मुहूर्त में पूजा करने से माता लक्ष्मी का वास घर में स्थायी रूप से होता है, जिससे सुख और समृद्धि प्राप्त होती है।
धनतेरस पूजा मुहूर्त:
- त्रयोदशी तिथि: 29 अक्टूबर सुबह 10:31 बजे से 30 अक्टूबर दोपहर 1:15 बजे तक।
- पूजा मुहूर्त: शाम 6:33 बजे से रात 8:13 बजे तक (कुल 1 घंटा 40 मिनट)।
- खरीदारी का मुहूर्त:
- सुबह 6:31 बजे से 10:31 बजे तक
- सुबह 11:42 बजे से 12:27 बजे तक
- गोधूलि वेला: शाम 5:38 बजे से 6:04 बजे तक।
धनतेरस पूजा विधि:
- प्रातः स्नान करके मंदिर की सफाई करें।
- शाम को प्रदोषकाल में लक्ष्मी, कुबेर और धन्वंतरि की प्रतिमा स्थापित करें।
- दीपक जलाएं और चंदन तिलक करें।
- प्रत्येक देवता के मंत्र का जाप करें और आरती करें।
- घर के बाहर यम दीप जलाएं।
2. रूप चतुर्दशी (नरक चतुर्दशी) – 31 अक्टूबर
इस दिन को छोटी दीपावली भी कहा जाता है। इसे रूप चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है और इस दिन यमराज की पूजा होती है। मान्यता है कि इस दिन घर के कोनों में दीप जलाने से अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता।
रूप चतुर्दशी तिथि:
- प्रारंभ: 30 अक्टूबर दोपहर 1:16 बजे से
- समाप्ति: 31 अक्टूबर दोपहर 3:53 बजे तक
3. दीपावली (31 अक्टूबर या 1 नवंबर)
दीपावली का मुख्य पर्व लक्ष्मी पूजन का दिन है। इस वर्ष अमावस्या तिथि के अनुसार, दो दिन दिवाली के मुहूर्त के लिए निर्धारित किए गए हैं। विद्वानों के अनुसार, इंदौर के जय महाकाली मंदिर के अनुसार 31 अक्टूबर को प्रदोषकाल और महानिशीथ काल मिल रहे हैं, जिससे इस दिन दिवाली मनाने का महत्व है। वहीं, अन्य विद्वानों के अनुसार 1 नवंबर को भी दिवाली मना सकते हैं। दोनों ही तिथियों पर पूजा के मुहूर्त के अनुसार दिवाली मनाने की सलाह दी गई है।
1 नवंबर के लिए दिवाली पूजा मुहूर्त:
- लक्ष्मी पूजन मुहूर्त: शाम 5:36 बजे से 6:16 बजे तक (41 मिनट)
- प्रदोष काल: शाम 5:36 बजे से 8:11 बजे तक
- निशीथ काल: रात 11:39 बजे से 12:31 बजे तक
दीपावली पूजा विधि:
- पूजा के स्थान पर स्वास्तिक बनाएं और लक्ष्मी-गणेश की प्रतिमा स्थापित करें।
- सभी देवताओं का पूजन करें और धूप-दीप जलाएं।
- माता लक्ष्मी की षोडशोपचार पूजा करें।
- प्रसाद अर्पण करें और आरती करें।
- घर के मुख्य द्वार पर दीये जलाएं और यम दीप भी प्रज्वलित करें।
4. गोवर्धन पूजा (1 या 2 नवंबर)
दीपावली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा और अन्नकूट उत्सव मनाया जाता है। यह पर्व भगवान कृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत उठाकर इंद्र देव से रक्षा करने की कथा से जुड़ा है। इस दिन गोवर्धन भगवान का पूजन और पकवानों का भोग अर्पित किया जाता है।
गोवर्धन पूजा तिथि और मुहूर्त:
- 1 नवंबर की सुबह से 2 नवंबर तक।
- विशेष पूजा का समय 1 नवंबर की सुबह से शाम तक।
5. भाई दूज (3 नवंबर)
पांच दिवसीय दीपोत्सव का आखिरी दिन भाई दूज का त्योहार है, जिसमें बहनें भाइयों के माथे पर तिलक लगाकर उनकी लंबी आयु और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं।
भाई दूज तिथि:
- कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि: 3 नवंबर
पूजन में आवश्यक मंत्र:
- मां लक्ष्मी मंत्र:
- “ॐ धन्यायै नमः।”
- “ॐ हिरण्मय्यै नमः।”
- “ॐ लक्ष्म्यै नमः।”
- कुबेर मंत्र:
- “ॐ कुबेराय नमः।”
- “ॐ धनदाय नमः।”
- धन्वंतरि मंत्र:
- “ॐ धन्वन्तरये नमः।”
ध्यान रखने योग्य बातें:
- धनतेरस के दिन और दीपावली की शाम कुछ वस्तुएं जैसे झाड़ू, प्याज, नमक और धन किसी को न दें।
- दिवाली पर घर के प्रत्येक कोने में दीपक जलाएं।
- पूजा के बाद पटाखे फोड़ने और मिठाई बांटने की परंपरा निभाएं।
समापन
इस प्रकार से 29 अक्टूबर से 3 नवंबर तक पांच दिवसीय दीपोत्सव का आनंद लिया जा सकता है। दीपावली का यह पावन पर्व समृद्धि, स्वास्थ्य और खुशियों से भरपूर हो, यही मंगल कामना है।