गलवान शहीद के पिता की गिरफ्तारी पर बिहार में मचा सियासी घमासान, राजनाथ ने CM नीतीश से की बात
वैशाली. बिहार के वैशाली जिले के जंदाहा में गलवान घाटी में शहीद जयकिशोर सिंह के पिता के साथ मारपीट, दुर्व्यवहार और गिरफ्तारी पर सियासी घमासान मचा हुआ है. जानकारी के मुताबिक रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने इस मामले में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से इस मामले में बात की है और घटना की निंदा करते हुए नाराजगी जाहिर की है. बताया जा रहा है कि नीतीश कुमार ने पूरे मामले में कार्रवाई का आश्वासन दिया है. जिसके बाद मामले की जांच के लिए एक टीम शहीद के चकफतेह गांव स्थित घर पहुंची. पुलिस मुख्यालय के निर्देश पर सीआईडी की टीम एएसपी मोहन आनंद के नेतृत्व में परिजनों से बात की साथ ही. जांच टीम ने स्मारक और विवादित जमीन का भी मुआयना किया, जिसको लेकर शहीद के पिता राजकपूर सिंह पर केस दर्ज हुआ था. इसी मामले में 25 फरवरी को जंदाहा थाना की पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार किया था.
पुलिस मुख्यालय के आदेश के बाद गठित तीन सदस्यीय सीआईडी की टीम एएसपी मोहन आनंद के नेतृत्व में पूरे मामले की जांच कर रही है. वहीं इस दौरान वैशाली जिला से भूअर्जन पदाधिकारी, वैशाली डीटीओ जयप्रकाश, महुआ एसडीओ, महनार एसडीओ सहित हाजीपुर एसडीओ और महुआ डीएसपी पूनम केसरी के साथ-साथ महनार डीएसपी एसके पंजियार व जन्दहा थानाध्यक्ष विश्वनाथ राम सहित लगभग दो दर्जन पदाधिकारी मौके पर मौजूद रहे, जो जांच टीम को सहयोग करते दिखे.
नहीं हो पाई बेल
उधर बुधवार को भी शहीद के पिता की बेल नहीं हो पाई. हाजीपुर व्यवहार न्यायालय में जज की तबीयत खराब होने की वजह से अगला डेट दिया गया है. वहीं शहीद पिता के केस के सिलसिले में कोर्ट पहुंचे शहीद के भाई नंदकिशोर कुमार ने बताया कि उनके पास साक्ष्य है, जिसमें अंचलाधिकारी और थाना प्रभारी का सिग्नेचर है. जिसमें लिखा गया है कि जमीन सरकारी है. उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें एफआईआर के बारे में भी पुलिस के द्वारा नहीं बताया गया. नंदकिशोर ने आगे कहा कि डीएसपी साहब आए थे बोले कि 15 दिन का समय देती हूं मूर्ति हटा लीजिए, नहीं तो मूर्ति उठाकर पोखर में फेंक देंगे. लेकिन उन्होंने भी एफआइआर की बात नहीं बताई.
अधिवक्ता ने कही ये बात
वहीं शहीद जयकिशोर के पिता राज कपूर सिंह के केस की पैरवी कर रहे एडवोकेट जय प्रकाश सिंह ने बताया कि स्पेशल जज के यहां बेल की सुनवाई होनी थी, लेकिन अचानक उनकी तबीयत खराब होने से सुनवाई नहीं हो सकी. उन्होंने बताया कि इस मामले में सीओ को आवेदन दिया गया था कि शहीद की प्रतिमा स्थल के पास बनाया जा रहा है. जिसको लेकर सीओ के समक्ष कंप्लेंट दाखिल हुआ था. अगर किसी आदेश का पालन नहीं हुआ था तो भी यह मामला अलग था. थाना प्रभारी को प्रतिवेदन के आधार पर निषेधाज्ञा लागू करनी चाहिए था. वहां पुलिस की बहाली होनी चाहिए थी, अगर कुछ ऐसा हो रहा था तो. लेकिन थाना प्रभारी ने मामला दर्ज किया और उसमें रंगदारी मांगने सहित कई धाराओं को लगाया गया है. लेकिन उसका कोई साक्ष्य नहीं दिया गया है. इसकी वजह से एक शहीद के पिता जेल में है.
एक साल पहले लगी थी प्रतिमा
वहीं शहीद की प्रतिमा निर्माण समिति के अध्यक्ष डॉ मनोज कुमार सिंह ने बताया कि गलवान घाटी में शहीद हुए जय किशोर की प्रतिमा 1 साल पहले लगी थी. जिसको हटाने के लिए प्रशासन की ओर से बोला जा रहा था. जबकि वह जमीन स्कूल की है, जिस विषय में अंचलाधिकारी और थाना अध्यक्ष का रिपोर्ट भी है.