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Air India Express: वो 7 मांगें…जिनकी वजह से कैंसिल हुईं एअर इंडिया एक्सप्रेस की 78 फ्लाइट्स

Air India Express: टाटा ग्रुप ने जब से एअर इंडिया को अपने हाथ में लिया है, तब से उसे अलग-अलग तरह की परिस्थितियों से जूझना पड़ रहा है. पहले एअर इंडिया की फ्लाइट में खराब खाना मिलने की खबर आई, फिर एक यात्री के सहयात्री पर पेशाब करने की और उसके बाद कई और खबरें आईं.

इस बीच टाटा ग्रुप ने अपने पूरे एयरलाइंस बिजनेस का आपस में विलय करने और एअर इंडिया की री-ब्रांडिंग का प्लान बनाया, लेकिन लगता है कि समस्याएं अभी खत्म नहीं हुईं. एअर इंडिया एक्सप्रेस के कर्मचारियों ने 7 मांगे रखी हैं, जिसके बाद बड़ी संख्या में वह ‘बीमारी की छुट्टी’ (मास सिक लीव) पर चले गए हैं और 78 फ्लाइट्स कैंसिल हो चुकी हैं. आखिर क्या हैं वो 7 मांगे…

एअर इंडिया एक्सप्रेस के कर्मचारियों के मास सिक लीव पर जाने से पहले ऐसा इंडिगो और गो एयर में तब देखने को मिला था, जब एअर इंडिया ने बड़े पैमाने पर भर्ती शुरू की थी. हालांकि इस बार कर्मचारियों ने ये छुट्टी नौकरी का इंटरव्यू देने के लिए नहीं ली हैं, बल्कि मामला अलग है.

यूनियन ने पिछले महीने भेजा मैनेजमेंट को लेटर

एअर इंडिया एक्सप्रेस के कर्मचारियों के संगठन ‘एअर इंडिया एक्सप्रेस एम्प्लॉइज यूनियन’ ने पिछले महीने कंपनी के मैनेजमेंट को एक पत्र लिखकर अपनी मांगों और समस्याओं को सामने रखा था. ये यूनियन भारतीय मजदूर संघ से जुड़ी है, जिसका संबंध राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से है और ये देश का सबसे बड़ा मजदूर संगठन है.

इस पत्र में लिखा था कि टाटा ग्रुप के अधिग्रहण के बाद से एअर इंडिया एक्सप्रेस लिमिटेड कई मुद्दों से जूझ रही है. हमने शुरुआत में इस अधिग्रहण का स्वागत किया था, क्योंकि हमारा टाटा ग्रुप के समानता, ईमानदारी, पारदर्शिता और आपसी सम्मान के मूल्यों में गहरा विश्वास था. जैसा ‘टाटा कोड ऑफ कंडक्ट’ में लिखा है. लेकिन अब समस्याएं गहरी हो गईं हैं और केंद्रीय श्रम आयुक्त से भी इस मामले में राहत नहीं मिली है, जिसके चलते हमें ये पत्र लिखना पड़ रहा है.

एअर इंडिया एक्सप्रेस के कर्मचारियों की 7 मांगें

एअर इंडिया एक्सप्रेस के कर्मचारियों ने अपने पत्र में कई मुद्दों पर खुलकर बात रखी है. इसमें 7 मांगे प्रमुख हैं..

  • एअर इंडिया के अधिग्रहण के कुछ दिन बाद ही कई कर्मचारियों को उनका बेहतरीन रिकॉर्ड होने के बावजूद नौकरी से निकाल दिया गया. जबकि अधिग्रहण के वक्त वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आश्वासन दिया था कि 2 साल तक किसी को नौकरी से नहीं निकाला जाएगा.
  • टाटा कोड ऑफ कंडक्ट में व्हिसिल ब्लोअर के कॉन्सेप्ट का जिक्र है, लेकिन ये बहुत हद तक एकतरफा है. ये बॉस की तरफ से कर्मचारियों की तरफ चलता है, लेकिन जब भी कोई डिपार्टमेंट या कर्मचारी अपनी तरफ से ये बात उठाना चाहता है, तो उसे टाउनहॉल मीटिंग में चुप करा दिया जाता है. इतना ही नहीं सैलरी, अनुभव और मेरिट के आधार पर कर्मचारियों के बीच असमानता का व्यवहार किया जाता है.
  • एअर इंडिया एक्सप्रेस के कर्मचारियों का हायर रैंक के लिए इंटरव्यू क्लियर करने के बाद उन्हें लोअर ग्रेड जॉब दी गईं. कुछ शॉर्टलिस्ट किए गए लोगों को हटा दिया गया, जबकि बाहर से कम अनुभव पर लाए गए कर्मचारियों को हायर रैंक दी गई. ये एक तरह का भाई-भतीजावाद है.
  • टाटा कोड ऑफ कंडक्ट में पारदर्शिता की कमी को लेकर भी कर्मचारी यूनियन ने अपनी चिंताएं रखी हैं. उनका कहना है कि एयरएशिया इंडिया के एम्प्लॉइज को जहां परमानेंट पे-रोल पर रखा गया है, वहीं एअर इंडिया एक्सप्रेस के कर्मचारियों को कॉन्ट्रैक्ट पर रखा गया है.
  • कर्मचारियों ने हाउस रेंट अलाउंस, ट्रैवल अलाउंस, डीयरनेस (महंगाई) अलाउंस जैसे जरूरी भत्तों को लेकर भी शिकायत दर्ज की है, जो उन्हें एयरएशिया इंडिया के साथ मर्जर होने से पहले मिलते थे. अब उन्हें हटा दिया गया है, जिससे उनकी सैलरी बहुत कम हो गई है.
  • एयरलाइंस को चलाने के मानक तौर तरीकों (एसओपी) में कर्मचारियों के वर्षों के अनुभव, उनकी सीनियरटी और क्षमताओं की अनदेखी की जा रही है.
  • एयरलाइंस एक तरह के मिस-मैनेजमेंट से गुजर रही है, जिसका असर ना सिर्फ कर्मचारियों के काम पर हो रहा है. बल्कि कस्टमर एक्सपीरियंस और कंपनी के परफॉर्मेंस पर भी पड़ रहा है.

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