DESK: सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को आदेश दिया है कि वह पटना उच्च न्यायालय के वर्तमान न्यायाधीश, जस्टिस आरपी मिश्रा का वेतन तुरंत जारी करे. हाई कोर्ट ने आदेश देते हुए कहा कि किसी भी न्यायाधीश से बिना वेतन के काम करने की उम्मीद नहीं की जानी चाहिए. मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने ये आदेश दिया है.
पीठ पटना उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के लंबित वेतन जारी करने के साथ-साथ न्यायिक अधिकारियों के लिए पेंशन निर्धारण के मुद्दे से संबंधित मामलों की सुनवाई कर रही थी. सुनवाई के दौरान अदालत को अवगत कराया गया कि न्यायमूर्ति रुद्र प्रकाश मिश्रा को नवंबर 2023 में उच्च न्यायिक सेवाओं से उच्च न्यायालय में पदोन्नति के बाद से अभी तक सामान्य भविष्य निधि (जीपीएफ) आवंटित नहीं किया गया है, हालांकि उन्होंने इससे संबंधित सभी औपचारिकताएं पूरी कर ली हैं. जज को उनकी पदोन्नति की तारीख से अब तक अपना वेतन नहीं मिला था.
तुरंत बकाया राशि जारी करने का आदेश
इसे गंभीरता से लेते हुए सीजेआई ने पटना उच्च न्यायालय के दृष्टिकोण पर सवाल उठाया. CJI ने कहा कि जस्टिस आरपी मिश्रा का वेतन अब तक क्यों जारी नहीं किया गया. वे उन्हें वेतन देने से इनकार क्यों कर रहे हैं. पीठ ने कहा कि जस्टिस मिश्रा जब जिला न्यायपालिका में सेवारत थे तब वे नई पेंशन योजना के तहत थे, लेकिन उच्च न्यायालय में पदोन्नत होने पर वह अन्य उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के समान सेवा शर्तों द्वारा शासित होंगे. सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह न्यायमूर्ति मिश्रा का वेतन बकाया राशि सहित जारी करे.
SC ने पहले भी दिया था ऐसा आदेश
मार्च 2023 में शीर्ष अदालत ने ऐसे ही एक मामले में पटना उच्च न्यायालय के सात न्यायाधीशों के वेतन को जारी करने का निर्देश दिया था, जो उनके जीपीएफ खाते बंद होने के बाद रोक दिया गया था. सात न्यायाधीशों के सामान्य भविष्य निधि खाते बंद करने का दावा करने वाली याचिका पर मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की पीठ ने सुनवाई की.
जिन याचिकाकर्ताओं के जीपीएफ खाते पर रोक लगाई गई है, उनमें पटना हाईकोर्ट के सात जज शामिल हैं. उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों में न्यायमूर्ति शैलेन्द्र सिंह, अरुण कुमार झा, जीतेन्द्र कुमार, आलोक कुमार, सुनील दत्त मिश्रा, चन्द्र प्रकाश सिंह और चन्द्र शेखर झा शामिल हैं. राज्य न्यायिक सेवा से उच्च न्यायालय में पदोन्नत होने से पहले वे राष्ट्रीय पेंशन योजना के अंतर्गत आते थे.