जहां एक ओर ईरान और इजराइल के बीच जंग खत्म होने का नाम नहीं ले रही है. वहीं दूसरी ओर एक और नई जंग की तैयारी शुरू हो गई है. इस जंग में अमेरिका के खिलाफ पांच देश खड़े हो गए हैं. इन पांचों देशों ने इस नई जंग की पूरी रूपरेखा भी तैयार कर ली है और खुले रूप में ऐलान कर दिया है. वास्तव में अमेरिका के टैरिफ के खिलाफ पांच देशों के एक ग्रुप ने खुला ऐलान कर दिया है.
अब वो एक ऐसी जंग की तैयारी कर रहे हैं, जो आज से पहले कभी नहीं देखी गई है. ये वो पांच देश हैं, जो आने वाले दिनों में ग्लोबल इकोनॉमी पर राज कर सकते हैं. आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर वो पांच देश कौन से हैं, जिन्होंने अमेरिकी टैरिफ के खिलाफ कमर कस ली है और एक नई जंग की शुरुआत करने जा रहे हैं.
अमेरिकी टैरिफ के खिलाफ बनाया नया प्लान
दुनिया के बड़े ग्रुप में शुमार ब्रिक्स के टॉप लीडर्स के शिखर वार्ता के लिए रियो डी जेनेरियो में पहुंचने के कुछ सप्ताह पहले ग्रुप के प्रमुख सदस्य देशों के दूतों ने संकेत दिया कि ट्रंप प्रशासन की शुल्क पर आक्रामक नीति के मद्देनजर वे व्यापार के लिए नेशनल करेंसी के अधिक उपयोग पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं. रूसी राजदूत डेनिस अलीपोव ने ब्रिक्स सदस्य देशों के बीच आपसी करेंसी में व्यापार के लिए अपने मजबूत समर्थन की पुष्टि की और समूह को बड़ी चुनौतियों के संयुक्त समाधान पर चर्चा के लिए एक गंभीर मंच बताया.
ब्रिक्स करेंसी पर कोई बात नहीं
शिखर सम्मेलन में प्रस्तावित ब्रिक्स करेंसी पर कोई महत्वपूर्ण प्रगति होने की संभावना नहीं है क्योंकि इसके लिए महत्वपूर्ण संरचनात्मक परिवर्तन और सुधारों की जरूरत होगी. पिछले कुछ महीनों में, अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ब्रिक्स सदस्य देशों को अमेरिकी डॉलर की जगह ब्रिक्स मुद्रा शुरू करने के खिलाफ चेतावनी दी है. अलीपोव ने शुक्रवार शाम को रियो में ब्रिक्स: एक समावेशी और सतत विश्व व्यवस्था का निर्माण शीर्षक से आयोजित एक सम्मेलन में कहा गया, ब्रिक्स कोई समूह विरोधी नहीं है. यह उन देशों के लिए गुरुत्व का केंद्र है जो परस्पर सम्मान और गैर-हस्तक्षेप चाहते हैं.
कौन से हैं वो पांच देश
इस सम्मेलन का आयोजन भारत में ब्राजील के दूतावास और वैश्विक मामलों पर केंद्रित एक प्रमुख शोध संस्थान सेंटर फॉर ग्लोबल इंडिया इनसाइट्स (सीजीआईआई) ने संयुक्त रूप से किया था. ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) शिखर सम्मेलन छह और सात जुलाई को रियो डी जेनेरियो में आयोजित किया जाएगा. ब्राजील इस प्रभावशाली समूह के अध्यक्ष के रूप में शिखर सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग, दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा और समूह के सदस्य देशों के कई अन्य नेताओं के इस शिखर सम्मेलन में भाग लेने की उम्मीद है.