Sunday, January 5, 2025
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एक मंडप, 4 बेटियां और एक दूल्हा… पापा करवाने चले थे बाल विवाह, लेकिन ऐसे हो गया प्लान फेल

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राजस्थान के करौली से अजब-गजब मामला सामने आया है. यहां एक पिता अपनी ही चार नाबालिग बेटियों की शादी एक ही दिन करवाने चला था. लेकिन ऐन वक्त पर एक बेटी ने बहादुरी दिखाते हुए शादी का विरोध कर दिया. वह अपनी सहेली के साथ एक एनजीओ पहुंची. उसने वहां मदद मांगी. एनजीओ वाले फिर लड़की के माता-पिता के घर पहुंचे. पहले तो वो लोग शादी की बात से मुकर गए. लेकिन फिर उन्होंने खुद ही बता दिया कि वो बेटियों की शादी क्यों करवा रहे थे.

एनजीओ को लड़कियों के पिता ने बताया- मैं बेरोजगार हूं. मेरे पास इतना पैसा नहीं है कि तीनों बेटियों की अलग-अलग शादी करवा सकूं. जब मेरी 17 साल की बेटी का रिश्ता फिक्स हुआ तो मैंने बाकी की तीनों लड़कियों के लिए भी दूल्हे ढूंढना शुरू कर दिया. ताकि एक ही बार में चारों बेटियों की शादी हो जाए और पैसा भी ज्यादा खर्च न हो. एनजीओ वालों ने पिता की तकलीफ को समझा और उसे नौकरी भी दिलवाई. अब चारों बच्चियां दोबारा से स्कूल जाने लगी हैं. स्कूल जाने और शादी टूटने से चारों लड़कियां बेहद खुश हैं.

मामला करौली जिले के एक गांव का है. यहां कर्ज और बेरोजगारी के बोझ तले तुला राम अपनी चार नाबालिग लड़कियों का एक साथ शादी कराना चाहता था. अखबार में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, बेटियों की उम्र 17, 15, 14 और 13 साल है. बड़ी बेटी के लिए उसने लड़का भी फाइनल कर लिया. बाकी तीनों बेटियों के लिए भी वह लड़का ढूंढ रहा था. उसका मानना था कि एक ही दिन सभी की शादी कर देने से खर्चा बच जाएगा.

चारों बेटियां स्कूल में पढ़ती हैं. सभी अपनी शिक्षा जारी रखना चाहती थीं, लेकिन जब पिता ने गरीबी के कारण अपनी लाचारी व्यक्त की तो उनके पास कोई विकल्प नहीं था. पिता को सबसे बड़ी बेटी के लिए लड़का मिल गया था और वह अपनी तीन अन्य बेटियों की शादी के लिए लड़का ढूंढ रहा था. लेकिन, इसी बीच उसकी 15 साल की दूसरी बेटी ने बगावत कर दी. वह शादी करने के लिए तैयार नहीं थी.

टीचर ने भेजा NGO

15 साल की दूसरी बेटी ने अपने टीचर को इसकी जीनकारी दी. चूंकि टीचर इस मामले में सीधे हस्तक्षेप नहीं करना चाहते थे, इसलिए उन्होंने उसे एक एनजीओ के पास भेजा. इस एनजीओ ने हाल ही में उनके स्कूल में एक जागरूकता कैंप आयोजित किया था. जब लड़की ने एनजीओ के प्रतिनिधियों को फोन किया तो उन्होंने उसे उनके कार्यालय में आने के लिए कहा. उन्हें लगा कि लड़की बेहद परेशान है और उसे मदद की जरूरत है. अपनी ही उम्र की एक सहेली के साथ लड़की ने शादी से एक सप्ताह पहले ग्रामराज्य विकास एवं प्रशिक्षण संस्थान नामक एनजीओ के कार्यालय पहुंची.

लड़की ने सुनाई आपबीती

लड़की ने वहां पहुंचकर सारी कहानी बताई. संस्थान के निदेशक ने कहा, ‘हमने लड़की को आश्वासन दिया कि उसके यहां आने के बारे में किसी को पता नहीं चलेगा. किसी को यह भी पता नहीं चलेगा कि उसने हमें इसके बारे में सूचित किया था. जब हमने उससे कहा कि इन शादियों को रोकना हमारी जिम्मेदारी है तो उसने काफी राहत महसूस की.’ इसके बाद चाइल्ड लाइन के अधिकारियों के साथ संस्थान के सदस्यों ने तुरंत लड़की के माता-पिता से मुलाकात की. माता-पिता ने शादी की बात से इनकार कर दिया, लेकिन लड़की ने अपने पिता के सामने खड़े होने की हिम्मत जुटाई. इसके बाद पिता ने अधिकारियों को बताया कि शादियां तय हो गई हैं और एक सप्ताह से भी कम समय में होंगी.

पिता को दिलवाई नौकरी

NGO की टीम ने तुला राम को बाल विवाह के कानूनी और सामाजिक परिणामों के बारे में समझाया. इसके बाद उसने एक शपथ पत्र पर साइन किया कि वह अपनी बेटियों की शादी 18 साल की होने से पहले नहीं होने देंगे. तुला राम की चारों बेटियां अब फिर से स्कूल में वापस आ गई हैं. संस्थान ने तुला राम को नौकरी ढूंढने में भी मदद की.

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