मुंबई ट्रेन ब्लास्ट केस: 19 साल बाद सभी 11 दोषी बरी, हाई कोर्ट ने सुनाया चौंकाने वाला फैसला

On: Monday, July 21, 2025 10:30 AM
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मुंबई: 2006 के मुंबई लोकल ट्रेन बम धमाकों के मामले में महाराष्ट्र सरकार को बड़ा झटका लगा है। बंबई हाई कोर्ट ने सोमवार को इस केस में दोषी ठहराए गए सभी 11 आरोपियों को बरी कर दिया है। कोर्ट ने माना कि ट्रायल कोर्ट के फैसले में पर्याप्त सबूतों की कमी थी और अभियोजन पक्ष आरोपियों की संलिप्तता को सिद्ध नहीं कर सका। 19 साल बाद आए इस ऐतिहासिक फैसले ने एक बार फिर देश की न्याय व्यवस्था और जांच एजेंसियों की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

क्या हुआ था 11 जुलाई 2006 को?

मुंबई की जीवन रेखा मानी जाने वाली लोकल ट्रेनों में 11 जुलाई 2006 की शाम को महज 11 मिनट के अंदर 7 सिलसिलेवार धमाके हुए थे। ये धमाके पश्चिमी रेलवे लाइन पर स्थित माटुंगा रोड, माहिम, बांद्रा, खार रोड, जोगेश्वरी, बोरीवली और मीरा रोड स्टेशन पर हुए थे। सभी धमाके फर्स्ट क्लास डिब्बों में हुए थे, जिनमें प्रेशर कुकर बम का इस्तेमाल किया गया था। बमों में 2-2.5 किलोग्राम RDX और 3.5-4 किलोग्राम अमोनियम नाइट्रेट भरकर रखा गया था।

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इन धमाकों में 189 लोगों की मौत हो गई थी और 800 से अधिक लोग घायल हुए थे। यह घटना देश के इतिहास में अब तक के सबसे बड़े आतंकी हमलों में से एक मानी जाती है।

कैसे चला केस?

हमले के बाद महाराष्ट्र एटीएस (ATS) ने बड़ी कार्रवाई करते हुए 13 आरोपियों को गिरफ्तार किया था। साल 2015 में ट्रायल कोर्ट ने 12 आरोपियों को दोषी ठहराया, जिनमें से 5 को फांसी और 7 को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। लेकिन इस दौरान एक आरोपी की जेल में मौत हो गई थी।

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बाकी 11 दोषियों ने ट्रायल कोर्ट के फैसले के खिलाफ मुंबई हाई कोर्ट में अपील दायर की थी। इसी याचिका पर आज 21 जुलाई 2025 को बंबई हाई कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए सभी को दोषमुक्त करार दे दिया।

कोर्ट ने क्या कहा?

हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि “अभियोजन पक्ष यह साबित करने में असफल रहा कि गिरफ्तार आरोपियों का सीधा संबंध धमाकों से था। सबूतों में विरोधाभास पाए गए और गवाहों के बयानों में स्पष्टता नहीं थी।” कोर्ट ने यह भी कहा कि आरोपियों को दिए गए बयान और सबूत तकनीकी रूप से विश्वसनीय नहीं थे।

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जनता और सरकार की प्रतिक्रिया

इस फैसले के बाद महाराष्ट्र सरकार की काफी किरकिरी हो रही है। पीड़ितों के परिवारों में आक्रोश है और वे सुप्रीम कोर्ट में जाने की बात कर रहे हैं। वहीं सरकार ने भी कहा है कि वह फैसले की कॉपी का अध्ययन कर सुप्रीम कोर्ट में अपील करेगी।

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