DESK: झारखंड में इस साल के अंत तक विधानसभा चुनाव होने की संभावना है, और चुनाव आयोग जल्द ही तारीखों का ऐलान कर सकता है। चुनावी सरगर्मी बढ़ने के साथ ही सभी राजनीतिक पार्टियां अपनी तैयारियों में जुट गई हैं। इसी क्रम में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने दिल्ली में एक अहम बैठक आयोजित की, जिसमें पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने चुनावी रणनीतियों पर चर्चा की।
बीजेपी की दिल्ली में बैठक: रणनीतियों पर विचार-विमर्श
बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में गृह मंत्री अमित शाह, झारखंड चुनाव प्रभारी लक्ष्मीकांत वाजपेई, झारखंड विधानसभा में विपक्ष के नेता अमर बाउरी और राज्यसभा सांसद आदित्य साहू समेत कई अन्य नेता शामिल थे। बैठक का मुख्य उद्देश्य आगामी चुनावों के लिए पार्टी की रणनीतियों को तय करना और संभावित उम्मीदवारों के नामों पर मंथन करना था। सूत्रों के अनुसार, बैठक में बूथ स्तर पर पार्टी कार्यकर्ताओं से संवाद स्थापित करने और चुनावी सर्वेक्षणों के आधार पर उम्मीदवारों के चयन पर भी गहन चर्चा हुई।
बैठक के बाद बीजेपी विधायक अमर बाउरी ने कहा, “इस बार का चुनाव झारखंड की गरिमा और ‘रोटी, बेटी, माटी’ के लिए है।” उन्होंने राज्य की मौजूदा हेमंत सोरेन सरकार पर भी निशाना साधते हुए कहा कि इस सरकार ने युवाओं के सपनों को तोड़ा है। बाउरी ने जोर देकर कहा कि पार्टी के उम्मीदवार पूरी तरह से तैयार हैं, और जैसे ही राष्ट्रीय नेतृत्व से हरी झंडी मिलेगी, उम्मीदवारों के नामों की घोषणा कर दी जाएगी।
आदिवासी सीटों पर बीजेपी की नजर
झारखंड विधानसभा की कुल 82 सीटों में से 28 सीटें आदिवासी बहुल क्षेत्र में आती हैं। बीजेपी की रणनीति है कि इन सीटों पर सभी उम्मीदवार आदिवासी समुदाय से हों, ताकि इस वर्ग का समर्थन प्राप्त किया जा सके। वहीं, 53 गैर-आदिवासी सीटों में पार्टी 35 से अधिक सीटें जीतने का लक्ष्य रख रही है। पार्टी के अंदरूनी सर्वेक्षण और जमीनी स्तर से मिले सुझावों के आधार पर उम्मीदवारों का चयन करने की प्रक्रिया पर जोर दिया गया है।
आजसू और जेडीयू के साथ गठबंधन की रणनीति
झारखंड विधानसभा चुनाव में बीजेपी इस बार आजसू (ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन) और जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के साथ गठबंधन कर सकती है। सीट शेयरिंग को लेकर बीजेपी और आजसू के बीच बातचीत लगभग अंतिम चरण में है। पिछली बैठक में, जो अमित शाह के आवास पर हुई थी, आजसू के लिए 11 सीटें तय की गई थीं, हालांकि अब तक इसकी आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है। 2019 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी और आजसू ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था, लेकिन इस बार दोनों पार्टियां साथ आकर चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी कर रही हैं।
हेमंत सरकार पर विपक्ष के हमले
बीजेपी ने मौजूदा झारखंड सरकार, खासकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की नीतियों पर जमकर हमला बोला। पार्टी ने आरोप लगाया कि सरकार ने युवाओं के साथ किए गए वादों को पूरा नहीं किया और उनकी आकांक्षाओं को ध्वस्त कर दिया। इस चुनाव में बीजेपी “विकास और सुशासन” को मुख्य मुद्दा बना रही है, और पार्टी का मानना है कि आदिवासी और ग्रामीण क्षेत्रों में उसकी पकड़ मजबूत है।
दिल्ली में हुई इस महत्वपूर्ण बैठक से यह साफ हो गया है कि बीजेपी झारखंड चुनाव को लेकर पूरी तरह से सक्रिय हो चुकी है। पार्टी ने बूथ स्तर से लेकर राज्य स्तर तक अपनी रणनीतियों पर विचार करना शुरू कर दिया है। आदिवासी और गैर-आदिवासी क्षेत्रों में जीत सुनिश्चित करने के लिए पार्टी ने सर्वेक्षणों और जमीनी फीडबैक के आधार पर उम्मीदवारों का चयन करने की योजना बनाई है। अब सभी की नजरें चुनाव आयोग के तारीखों के ऐलान और पार्टी द्वारा उम्मीदवारों की घोषणा पर टिकी हैं।