दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर एक बार फिर से किसान आंदोलन की हलचल देखने को मिल सकती है। पंजाब और हरियाणा के किसान 6 दिसंबर को राष्ट्रीय राजधानी की ओर कूच करने की तैयारी में जुटे हैं। यह किसान केंद्र सरकार से अपनी लंबित मांगों, विशेषकर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी, कर्ज माफी और पेंशन जैसी प्रमुख मांगों को लेकर प्रदर्शन करना चाहते हैं।
किसानों का इरादा और तैयारियां
किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने कहा कि प्रदर्शन शांतिपूर्ण होगा और सरकार से बातचीत के लिए हमेशा तैयार हैं। उन्होंने यह भी कहा कि हरियाणा में किसानों पर दबाव बनाने के लिए कई किसान नेताओं के घरों पर नोटिस चिपकाए गए हैं। किसान नेताओं का कहना है कि वे किसी भी तरह के विवाद को टालना चाहते हैं और सरकार को उनकी मांगों को गंभीरता से लेना चाहिए।
दिल्ली पुलिस की सुरक्षा व्यवस्था
दिल्ली पुलिस ने किसानों के प्रस्तावित मार्च को ध्यान में रखते हुए सिंघु बॉर्डर पर सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी है। दिल्ली-चंडीगढ़ राजमार्ग पर भी पुलिस की निगरानी बढ़ा दी गई है। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि पुलिस प्रदर्शनकारियों की हर गतिविधि पर नजर रख रही है और किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए तैयार है।
पुराने प्रयास और आंदोलन की मांगें
इससे पहले भी किसान संगठनों ने फरवरी 2023 में दिल्ली की ओर मार्च करने का प्रयास किया था, लेकिन उन्हें पंजाब-हरियाणा सीमा पर रोक दिया गया। किसानों की प्रमुख मांगों में एमएसपी की कानूनी गारंटी, कर्ज माफी, पेंशन, बिजली दरों में वृद्धि रोकना, और भूमि अधिग्रहण अधिनियम को बहाल करना शामिल हैं।
सिंघु बॉर्डर की स्थिति
सिंघु बॉर्डर पर फिलहाल कोई अतिरिक्त सुरक्षाबल तैनात नहीं किया गया है, लेकिन स्थानीय पुलिस पहले से ही चेक पोस्टों पर मौजूद है। ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (जीआरएपी-4) के तहत वायु प्रदूषण के नियमों को लागू करने के साथ-साथ कानून व्यवस्था बनाए रखने पर भी जोर दिया जा रहा है।
किसानों की मांगों पर केंद्रित संघर्ष
संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के बैनर तले किसान इस बार अपनी आवाज को मजबूत करने के लिए दिल्ली कूच कर रहे हैं। प्रदर्शनकारी किसान उम्मीद कर रहे हैं कि सरकार उनकी मांगों पर सकारात्मक रुख अपनाएगी।
दिल्ली और आसपास के इलाकों में इस प्रदर्शन के चलते यातायात और सुरक्षा पर असर पड़ सकता है। किसान और सरकार के बीच बातचीत का रुख इस आंदोलन की दिशा तय करेगा।