औरतों ने देखा कि झाड़ी के बीच में पड़े नवजात बच्चा का शरीर खून से लथपथ है. बच्चे को गांव की औरतें उठा कर लायी और स्थानीय आशा वर्कर शाहजहां बेगम को बुलाकर दिया. आशा दीदी द्वारा नवजात को अपने घर लाया गया एवं साफ-सफाई करते हुए उसे नहलाया और पड़ोसी की मां का दूध पिलाया. झाड़ी के बीच से मिले बच्चे को लेकर लेकर क्षेत्र में काफी चर्चा है.
इस घटना की खबर आग की तरह पूरे क्षेत्र में फैल गई. बच्चे को देखने के लिए सैकड़ों लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी. बच्चे को देखकर लोग तरह तरह की चर्चा कर रहे थे. कुछ ने कहा कि कैसी निर्दयी एवं निष्ठुर मां है, जो अपना पाप छुपाने के लिए ममता का गला घोंट दिया.
वहीं, इस बात की चर्चा सुनकर खैरवा पंचायत के गुलरिया निवासी एवं निसंतान दंपती हरेश पटेल और उनकी पत्नी नवजात को गोद लेने एवं अपनी सूनी गोद में फूल खिलाने की आस लिए बलुहीं पहुंचे.
स्थानीय लोगों एवं बुद्धिजीवी द्वारा नवजात को उक्त दंपती को गोद देने की सिफारिश की गई. आशा की शाहजहां बेगम ने कहा कि उस बच्चे को हम पालेंगे. हम किसी को नहीं देंगे. जिसके कारण निसंतान दंपति मायूस होकर वापस लौटना पड़ा.
वहीं, स्थानीय स्तर पर लोगों की मांग है कि जो भी उक्त नवजात को रखें उसके द्वारा उसको माता-पिता का उत्तराधिकार मिलना चाहिए, ताकि बच्चे का भविष्य सुरक्षित हो सके.