पटना। नीतीश सरकार ने शिक्षण संस्थानों में वर्षों से लंबित नियुक्तियों को लेकर बड़ा कदम उठाया है। मंगलवार को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में प्रदेश के विभिन्न श्रेणी के विद्यालयों में पुस्तकालयाध्यक्ष, लिपिक और परिचारी के कुल 15 हजार पदों पर नियुक्ति की स्वीकृति दी गई। इस फैसले के साथ ही लंबे समय से अटकी बहालियों का रास्ता साफ हो गया है।
सरकार ने इन पदों पर नियुक्तियों के लिए तीन अलग-अलग नियमावलियों को स्वीकृति दी है। इन नियमावलियों के आधार पर पुस्तकालयाध्यक्ष के 6,500 पद, विद्यालय लिपिक के 6,421 पद और परिचारी के 2,000 पदों पर बहाली की जाएगी। यह नियुक्तियां बिहार लोक सेवा आयोग और कर्मचारी चयन आयोग के माध्यम से की जाएंगी।
पुस्तकालयाध्यक्ष बहाली की राह खुली
राज्य के हाई स्कूलों में लगभग 14 साल बाद पुस्तकालयाध्यक्षों की नियुक्ति होगी। इससे पहले वर्ष 2011-12 में इस संवर्ग में बहाली हुई थी। अब मंत्रिमंडल ने बिहार विद्यालय पुस्तकालयाध्यक्ष (नियुक्ति, स्थानांतरण, अनुशासनिक कार्रवाई एवं सेवाशर्त) नियमावली 2025 को मंजूरी दे दी है।
इन पदों पर आवेदन के लिए उम्मीदवारों को मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से न्यूनतम 45 प्रतिशत अंकों के साथ स्नातक की डिग्री अनिवार्य होगी। वहीं अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़ा वर्ग, अत्यंत पिछड़ा वर्ग, महिला, दिव्यांग और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के उम्मीदवारों को 5 प्रतिशत अंकों की छूट दी जाएगी।
पुस्तकालयाध्यक्ष का स्थानांतरण सामान्यतः जिला के भीतर ही होगा। विशेष परिस्थिति में माध्यमिक शिक्षा निदेशक द्वारा दूसरे जिले में स्थानांतरण किया जा सकेगा। अगर सेवा के दौरान पुस्तकालयाध्यक्ष की मृत्यु हो जाती है, तो उनके आश्रित को लिपिक या परिचारी के पद पर अनुकंपा के आधार पर नियुक्त किया जाएगा।
लिपिक और परिचारी की नियुक्ति भी तय
बिहार राज्य विद्यालय लिपिक (नियुक्ति, सेवाशर्त एवं अनुशासनिक कार्रवाई) नियमावली 2025 और बिहार राज्य विद्यालय परिचारी (नियुक्ति, सेवाशर्त एवं अनुशासनिक कार्रवाई) नियमावली 2025 को भी कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। इन पदों पर नियुक्ति दो प्रक्रियाओं के तहत होगी — 50% पद अनुकंपा के आधार पर और 50% पद कर्मचारी चयन आयोग के जरिए सीधी भर्ती से भरे जाएंगे।
अनुकंपा आधारित नियुक्तियों के लिए जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गठित कमेटी निर्णय लेगी। ये नियुक्तियां राज्य के प्राथमिक, मध्य, माध्यमिक, उच्च माध्यमिक, राजकीयकृत माध्यमिक, प्रोजेक्ट कन्या विद्यालयों और उत्क्रमित विद्यालयों में की जाएंगी। इस नियम के तहत अगर किसी शिक्षक या शिक्षकेत्तर कर्मी की सेवा अवधि के दौरान मृत्यु हो जाती है, तो उनके आश्रित को अनुकंपा पर लिपिक या परिचारी के पद पर नियुक्त किया जा सकेगा।
सरकार का उद्देश्य: शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ बनाना
राज्य सरकार के इस फैसले से न सिर्फ स्कूलों की आधारभूत व्यवस्था को मजबूती मिलेगी, बल्कि लंबे समय से नौकरी की प्रतीक्षा कर रहे हजारों युवाओं को रोजगार का अवसर भी मिलेगा। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अगुवाई में लिए गए इस निर्णय से शिक्षा व्यवस्था में सुधार की नई उम्मीद जगी है।