भारत में हाईवे और एक्सप्रेसवे देश की आधारभूत संरचना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, लेकिन इनके साथ जुड़े टोल टैक्स से लोगों को अकसर वित्तीय भार का सामना करना पड़ता है। अब सरकार ने टोल वसूली के तरीकों में बड़े बदलाव करने की योजना बनाई है। यह कदम उन लोगों के लिए एक बड़ा झटका साबित हो सकता है जो अब तक टोल टैक्स से बचने के कुछ जुगाड़ अपनाते थे। इस नई व्यवस्था के तहत सरकार टोल टैक्स वसूली को पूरी तरह से लीक-प्रूफ बनाने की तैयारी कर रही है।
पुरानी व्यवस्थाओं में लीकेज की समस्या
वर्तमान में, भारत में टोल वसूली मुख्य रूप से फास्ट टैग और टोल गेट्स के जरिए की जाती है। हालांकि, लोगों ने कुछ जुगाड़ निकाल लिए थे, जिससे वे टोल टैक्स से बच जाते थे। जैसे कि, टोल गेट से पहले ही यूटर्न लेकर वापस आ जाना या टोल गेट पर सवारी को उतारकर दूसरी गाड़ी में सवार करवा देना। इसके अलावा, कई बार लोग 20 किमी के भीतर के सफर के लिए टोल से बच जाते थे।
सरकार को इन समस्याओं के चलते काफी नुकसान हो रहा था। मौजूदा आंकड़ों के अनुसार, देश में टोल टैक्स से लगभग 40,000 करोड़ रुपये की आय होती है, जबकि टारगेट डेढ़ लाख करोड़ रुपये तक पहुंचने का है। इसी को देखते हुए सरकार ने लीकेज को रोकने के लिए एक नया सिस्टम लाने का फैसला किया है।
सैटेलाइट से होगी टोल वसूली
सरकार ने अब टोल वसूली के लिए एक नई तकनीक को अपनाने का फैसला किया है। इस नई प्रणाली को जीएनएसएस (ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम) के नाम से जाना जाएगा। इस प्रणाली के तहत, आपकी गाड़ी पर लगी एक विशेष डिवाइस, जिसे “ऑन बोर्ड यूनिट” (ओबू) कहा जाता है, टोल टैक्स को ऑटोमैटिक तरीके से काटेगी।
यह सिस्टम फास्ट टैग से अलग होगा और इसमें सैटेलाइट के जरिए आपकी गाड़ी की लोकेशन को ट्रैक किया जाएगा। जैसे ही आपकी गाड़ी एक निर्धारित दूरी (20 किमी से अधिक) तय करेगी, ओबू के माध्यम से सैटेलाइट टोल काट लेगा। इसका पायलट प्रोजेक्ट पहले ही सफलतापूर्वक पूरा हो चुका है और नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) ने अपनी रूल बुक में आवश्यक संशोधन भी कर लिए हैं।
फास्ट टैग होगा पुराना
इस नई प्रणाली के आने के बाद फास्ट टैग पुरानी तकनीक हो जाएगी। हालांकि, एक समय में फास्ट टैग ने भी टोल वसूली को काफी सुगम बना दिया था, लेकिन अब सरकार की नजरें इससे भी ज्यादा सुरक्षित और लीक-प्रूफ व्यवस्था पर हैं।
इसके साथ ही, सरकार ने एक और तरीका भी अपनाने का निर्णय लिया है। अब गाड़ियों पर लगी हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट (HSRP) के जरिए भी टोल वसूली की जाएगी। यह तरीका उस प्रक्रिया के समान होगा जिसमें तेज गति से गाड़ी चलाने पर चालान का नोटिस घर पर आता है। नंबर प्लेट को स्कैन करके टोल सीधे आपके खाते से काट लिया जाएगा।
टोल वसूली में पारदर्शिता का प्रयास
इस नई व्यवस्था का उद्देश्य टोल वसूली में पारदर्शिता लाना और किसी भी प्रकार की धोखाधड़ी या लीकेज को रोकना है। इस प्रणाली के लागू होने के बाद, हर गाड़ी पर नजर रखी जाएगी और टोल टैक्स की वसूली स्वचालित और सटीक होगी।
गौरतलब है कि इस प्रणाली के तहत, यदि आप 20 किमी तक की यात्रा करते हैं तो आपको टोल टैक्स नहीं देना होगा। लेकिन 21वें किमी से यात्रा शुरू होते ही पूरा टोल काट लिया जाएगा, जिसमें पिछला 20 किमी भी शामिल होगा। यानी आपकी हर यात्रा का पूरा हिसाब रखा जाएगा।
नई व्यवस्था से होने वाले लाभ
सरकार की इस नई व्यवस्था से कई फायदे होंगे। पहला, इससे टोल वसूली में होने वाली धांधली और लीकेज को पूरी तरह से रोका जा सकेगा। दूसरा, टोल गेट्स पर लगने वाली लंबी कतारों और जाम की समस्या भी समाप्त हो जाएगी। तीसरा, इस तकनीक से सरकार की आय में बढ़ोतरी होगी और नए इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स के लिए फंड्स जुटाए जा सकेंगे।
इसके अलावा, यह सिस्टम पर्यावरण की दृष्टि से भी लाभकारी साबित होगा क्योंकि टोल गेट्स पर वाहनों के रुकने से होने वाले प्रदूषण में भी कमी आएगी।
भारत सरकार का यह कदम टोल वसूली के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण बदलाव लेकर आएगा। इससे न केवल टोल वसूली में पारदर्शिता आएगी, बल्कि लोगों को भी बेहतर और सुगम सेवाएं मिलेंगी। हालांकि, जो लोग अब तक टोल टैक्स से बचने के जुगाड़ अपनाते थे, उनके लिए यह एक बड़ा झटका हो सकता है।