भारत की दो प्रमुख टेलीकॉम कंपनियाँ, रिलायंस जियो और भारती एयरटेल, सैटेलाइट स्पेक्ट्रम आवंटन के मुद्दे पर एकजुट हो गई हैं। एयरटेल के चेयरमैन सुनील मित्तल ने इंडियन मोबाइल कांग्रेस 2024 के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समक्ष इस मामले को उठाया। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि जियो पहले से ही सरकार के इस निर्णय पर नाराजगी जता चुकी है। मित्तल का मुख्य तर्क था कि सैटेलाइट स्पेक्ट्रम और लाइसेंसिंग की प्रक्रिया में पारदर्शिता और समान अवसर सुनिश्चित किया जाना चाहिए।
सैटेलाइट स्पेक्ट्रम और नीलामी की मांग
सुनील मित्तल ने अपने वक्तव्य में कहा कि सरकार को सैटेलाइट स्पेक्ट्रम के आवंटन के लिए नीलामी प्रक्रिया को प्राथमिकता देनी चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि टेलीकॉम और सैटेलाइट कंपनियों को समान अधिकार मिलने चाहिए ताकि दोनों सेक्टरों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा बनी रहे। मित्तल ने यह भी कहा कि शहरी क्षेत्रों में सैटेलाइट कंपनियों को टेलीकॉम ऑपरेटरों की तरह रेगुलेट किया जाना चाहिए और उन्हें भी समान शुल्क का भुगतान करना चाहिए।
जियो और एयरटेल का साझा दृष्टिकोण
यह पहली बार नहीं है जब जियो ने इस मुद्दे पर अपनी असहमति व्यक्त की है। इससे पहले, रिलायंस जियो ने भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) की उस सिफारिश का विरोध किया था, जिसमें सैटेलाइट ब्रॉडबैंड के लिए स्पेक्ट्रम को नीलामी के बिना आवंटित करने का प्रस्ताव था। जियो ने दूरसंचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को पत्र लिखकर यह मांग की थी कि स्पेक्ट्रम आवंटन की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाया जाए और सभी कंपनियों के लिए समान नियम लागू हों।
जियो का तर्क था कि यदि सैटेलाइट कंपनियों को बिना नीलामी के स्पेक्ट्रम दिया जाता है, तो यह टेलीकॉम कंपनियों के साथ अन्याय होगा। टेलीकॉम कंपनियाँ, जिनमें जियो और एयरटेल प्रमुख हैं, स्पेक्ट्रम के लिए भारी राशि का भुगतान करती हैं। ऐसे में यदि सैटेलाइट कंपनियों को बिना नीलामी के स्पेक्ट्रम दिया जाता है, तो यह एक असमान स्थिति उत्पन्न कर देगा। जियो का मानना है कि सभी कंपनियों को समान अवसर मिलना चाहिए, चाहे वे टेलीकॉम सेक्टर में हों या सैटेलाइट सेक्टर में।
सरकार से समान नियमों की अपील
एयरटेल ने जियो के इस रुख का समर्थन करते हुए सैटेलाइट स्पेक्ट्रम के आवंटन में समान नियमों की मांग की है। मित्तल ने सरकार से आग्रह किया कि वह सैटेलाइट कंपनियों को टेलीकॉम ऑपरेटरों के समान रेगुलेशन के तहत लाए और स्पेक्ट्रम आवंटन की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाए। उन्होंने जोर देकर कहा कि इस तरह का कदम देश की टेलीकॉम और सैटेलाइट दोनों उद्योगों के हित में होगा, जिससे दोनों क्षेत्रों को बढ़ने का समान अवसर मिलेगा।