आज सरकारी विद्यालय के शिक्षक से दर्जनों गैर शैक्षणिक कार्य लिया जा रहा है जिसका सीधा दुष्प्रभाव शिक्षा व्यवस्था पर पड़ रहा है।कोरोना काल में बाधित शिक्षा व्यवस्था को बहाल करने एवं बच्चों को शैक्षणिक व्यवस्था उपलब्ध कराने के बजाए शिक्षकों को शराब की मुखबिरी करने का आदेश देना बड़ा हास्यप्रद लगता है।उन्होंने कहा कि शराब से संबंधित आदेश निकाल कर सरकार ने शिक्षक की गरिमा को गिराने के साथ-साथ उसके जिंदगी को खतरे में डालने का काम किया है।
इस आदेश से आम जनता में भी सरकार के प्रति काफी रोष है। शिक्षा विभाग में कार्यरत आधे से अधिक संख्या महिला शिक्षिका की है सरकार ने आदेश निकालने के पूर्व तनिक भी नहीं सोचा इस प्रकार के कार्य करने के बाद महिला कितनी असुरक्षित हो जाएगी।श्री कुशवाहा ने अविलंब उक्त आदेश को रद्द करने की मांग किया है अन्यथा आने वाले दिनों में आंदोलन चलाने की चेतावनी भी दिया है।कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रखंड अध्यक्ष योगेंद्र राय ने किया।इस अवसर पर जिला कोषाध्यक्ष रविंद्र कुमार,पूर्व प्रधानाध्यापक राजेंद्र कुमार बनफूल,प्लस टू शिक्षक रवि रंजन कुमार, संयुक्त सचिव आनंद मोहन,संजीत
कुमार,मोहम्मद जहीर अब्बास,हरिश्चंद्र कुमार,अशोक ठाकुर,शैलेश कुमार,समाजसेवी सुनील कुशवाहा,सोनू आर्य,विनोद कुमार ध्वनि,अमित कुमार के अलावा दर्जनों शिक्षक एवं समाज सेवी उपस्थित थे।वहीं जिले के
महनार,पातेपुर,महुआ,लालगंज,बिदुपुर,सहदेई बुजुर्ग,देसरी,गोरौल,भगवानपुर,चेहराकलां,पटेढ़ी बेलसर व वैशाली प्रखंड मुख्यालय पर भी शिक्षकों ने पत्र की प्रति जलाकर शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के जरिए जारी तुगलकी फरमान का जबरदस्त विरोध प्रकट किया और विरोध मे जमकर नारे लगाए।वहीं शिक्षकों एक स्वर मे इस आदेश को अविलंब वापस करने की मांग की।