सासाराम, बिहार – राज्य में शराबबंदी लागू होने के बावजूद शराब तस्करी के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। पुलिस पर इस कानून को सख्ती से लागू करने की जिम्मेदारी है, लेकिन इसके विपरीत पुलिसकर्मियों की तस्करों से मिलीभगत के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। हाल ही में सासाराम कोर्ट के स्पेशल जज शैलेश कुमार पंडा ने नोखा थाना में तैनात रहे दारोगा प्रमोद कुमार सिंह पर शराब माफियाओं से सांठगांठ के आरोप में गिरफ्तारी वारंट जारी किया है।
चार साल पुराना मामला
यह मामला चार साल पुराना है, जब नोखा थाना के तत्कालीन थानाध्यक्ष नरोत्तम चंद्र ने शराब तस्करी से जुड़ी एक एफआईआर दर्ज की थी। इस मामले की जांच के दौरान दारोगा प्रमोद कुमार सिंह की मिलीभगत के सबूत मिले थे। इसके बाद कोर्ट ने संबंधित दारोगा को कई बार पेश होने के लिए नोटिस जारी किया, लेकिन उनके गैरहाजिर रहने पर कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया।
लोक अभियोजक ने किया पुष्टि
विशेष लोक अभियोजक रमेश कुमार रमन ने बताया कि प्रमोद कुमार सिंह पर शराब माफियाओं के साथ मिलीभगत का गंभीर आरोप है। अदालत ने इसे गंभीरता से लेते हुए गिरफ्तारी का आदेश दिया है। यह मामला पुलिस की छवि और शराबबंदी कानून की सफलता पर सवाल खड़ा करता है।
पटना हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी
इस मामले के बीच, पिछले महीने पटना हाईकोर्ट ने भी बिहार पुलिस की कार्यशैली पर तीखी टिप्पणी की थी। हाईकोर्ट ने कहा था कि शराबबंदी कानून पुलिस और तस्करों के लिए कमाई का जरिया बन गया है। अदालत ने इसे गरीबों के लिए अभिशाप करार देते हुए सुधार के कदम उठाने की जरूरत पर बल दिया।
बिहार में शराबबंदी लागू होने के बाद कई सकारात्मक बदलाव आए हैं, लेकिन पुलिस और तस्करों के बीच मिलीभगत की घटनाएं इस कानून की विफलता की ओर इशारा करती हैं। ऐसे मामलों का सामने आना राज्य सरकार और प्रशासन के लिए गंभीर चुनौती बन गया है।