पूर्णिया: प्यार और धर्म के टकराव में आजाद झा उर्फ मोहम्मद आजाद की मौत के बाद अंतिम संस्कार को लेकर विवाद ने जोर पकड़ लिया है। 17 साल पहले ब्राह्मण परिवार में जन्मे आजाद झा को एक मुस्लिम महिला से प्रेम हो गया था। इस प्रेम ने उसे अपने धर्म को छोड़ने और इस्लाम अपनाने के लिए प्रेरित किया। उसने अपना नाम बदलकर मोहम्मद आजाद रख लिया और महिला से शादी कर ली। अपने प्रेम के प्रति सच्चाई और समर्पण का यह उदाहरण अब विवाद का कारण बन गया है, क्योंकि उसकी मृत्यु के बाद यह सवाल उठ खड़ा हुआ है कि उसका अंतिम संस्कार किस धर्म के अनुसार किया जाए।
आजाद झा और उसकी पत्नी की प्रेम कहानी का आरंभ 17 साल पहले हुआ था, जब दोनों एक-दूसरे के करीब आए। ब्राह्मण होते हुए भी आजाद ने धर्म बदलकर मुस्लिम महिला से निकाह कर लिया। शादी के बाद आजाद ने इस्लाम को पूरी तरह अपना लिया, नमाज पढ़ना शुरू कर दिया और मुस्लिम रीति-रिवाजों को मानने लगा। लेकिन विवाह के कुछ सालों बाद, आजाद की ज़िंदगी में आर्थिक और व्यक्तिगत समस्याएँ घर करने लगीं। उसकी पत्नी के अनुसार, वह शराब का आदी हो गया था और अपनी कमाई का अधिकांश हिस्सा शराब पर खर्च कर देता था। यह उसकी समस्याओं का एक बड़ा कारण बन गया।
कुछ समय बाद, आजाद का शव उसके ससुराल में फंदे से लटका हुआ पाया गया। पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा और मामला संदिग्ध मानते हुए जांच शुरू की। मगर सबसे बड़ा विवाद उसके अंतिम संस्कार को लेकर खड़ा हो गया। आजाद के परिवार और हिंदू संगठनों का कहना है कि उसका अंतिम संस्कार हिंदू धर्म के अनुसार किया जाना चाहिए, क्योंकि वह जन्म से ब्राह्मण था। दूसरी ओर, उसकी पत्नी और ससुराल वाले इस बात पर अड़े हैं कि चूंकि आजाद ने इस्लाम कबूल किया था, इसलिए उसे इस्लामी रीति-रिवाजों के अनुसार दफनाया जाना चाहिए।
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इस विवाद को लेकर गांव में माहौल तनावपूर्ण हो गया। दोनों पक्षों के लोग अपनी-अपनी धार्मिक भावनाओं के साथ इस मामले में हस्तक्षेप करने लगे। पुलिस ने स्थिति को बिगड़ता देख आजाद के शव को अपने कब्जे में ले लिया और पोस्टमार्टम के बाद उसे सुरक्षित रखा है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि दोनों पक्षों के बीच बातचीत के बाद ही अंतिम निर्णय लिया जाएगा कि आजाद का अंतिम संस्कार कैसे होगा—हिंदू रीति-रिवाज से दाह-संस्कार या मुस्लिम रीति से दफनाया जाएगा।