बिहार

Nitesh Cabinet की बैठक खत्म, कुल 40 एजेंडों पर लगी मुहर; जनहित में लिया गया बड़ा फैसला

Nitesh Cabinet Meeting: एक तरफ बिहार की सियासत दिन-ब-दिन गर्म होती नजर आ रही है, वहीं दूसरी तरफ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने आज कैबिनेट की बैठक बुलाई थी. इस कैबिनेट बैठक में कई अहम फैसले लिए गए, जिसमें केंद्र सरकार से बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने का अनुरोध करने का प्रस्ताव पारित किया गया है. इसके साथ ही सरकार ने बिहार के सरकारी सेवकों के लिए महंगाई भत्ता भी बढ़ा दिया है. बता दें कि, केंद्र सरकार ने 18 अक्टूबर को ही केंद्रीय कर्मचारियों को 4 फीसदी डीए दिया है. केंद्र सरकार के फैसले के बाद राज्य सरकार इसे लागू कर रही है, लेकिन पिछली दो बैठकों में इस बात पर चर्चा हुई है कि सरकार 4 फीसदी डीए पर फैसला लेगी. अब इस पर बुधवार को फैसला लिया गया है.

आपको बता दें कि इसे लेकर सीएम नीतीश ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर लिखा है कि, ”आज कैबिनेट की बैठक में बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने के लिए केंद्र सरकार से अनुरोध करने का प्रस्ताव पारित किया गया है. मेरा अनुरोध है कि बिहार के लोगों के हित को ध्यान में रखते हुये केंद्र सरकार बिहार को जल्द से जल्द विशेष राज्य का दर्जा दें. हमलोग बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग 2010 से ही कर रहे हैं.

इसके लिए 24 नवंबर 2012 को पटना के गांधी मैदान में और 17 मार्च 2013 को दिल्ली के रामलीला मैदान में बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने के लिए अधिकार रैली भी आयोजित की गई थी. हमारी की मांग पर तत्कालीन केंद्र सरकार ने इसके लिए रघुराम राजन कमेटी का गठन भी किया था, जिसकी रिपोर्ट सितंबर 2013 में प्रकाशित हुई थी, लेकिन उस समय भी तत्कालीन केंद्र सरकार ने इस पर कुछ नहीं किया. वहीं मई 2017 में भी हमने विशेष राज्य का दर्जा देने के लिए केंद्र सरकार को पत्र लिखा था.”

इसके साथ ही आपको बता दें कि बैठक खत्म होते ही सीएम ने अपने फेसबुक पर पोस्ट करते हुए लिखा है कि, ”देश में पहली बार बिहार में जाति आधारित गणना का काम कराया गया है. जाति आधारित गणना के सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक स्थिति के आंकड़ों के आधार पर अनुसूचित जाति के लिए आरक्षण सीमा को 16 प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण की सीमा को 1 प्रतिशत से बढ़ाकर 2 प्रतिशत, अत्यंत पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण की सीमा को 18 प्रतिशत से बढ़ाकर 25 प्रतिशत और पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण की सीमा को 12 प्रतिशत से बढ़ाकर 18 प्रतिशत कर दिया गया है.

यानी सामाजिक रूप से कमजोर तबकों के लिए आरक्षण सीमा को 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 65 प्रतिशत कर दिया गया है. वहीं सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण पूर्ववत लागू रहेगा. यानी इन सभी श्रेणियों के लिए कुल आरक्षण सीमा 75 फीसदी तक बढ़ा दी गई है. इसके साथ ही जाति आधारित गणना में सभी वर्गों को मिलाकर बिहार में लगभग 94 लाख गरीब परिवार पाए गए हैं, उनमें से प्रत्येक परिवार के एक सदस्य को रोजगार के लिए 2 लाख रुपये तक की राशि किस्तों में प्रदान की जाएगी.”

40 एजेंडों पर लगी मुहर 

इसके साथ ही आपको बता दें कि 63,850 बेघर और भूमिहीन परिवारों को जमीन खरीदने के लिए दिए जाने वाले 60 हजार रुपये की सीमा को बढ़ाकर 1 लाख रुपये कर दिया गया है. इसके अलावा इन परिवारों को घर बनाने के लिए 1 लाख 20 हजार रुपये दिए जाएंगे. झोपड़ियों में रहने वाले 39 लाख परिवारों को भी पक्का मकान उपलब्ध कराया जाएगा, जिसके लिए प्रति परिवार 1 लाख 20 हजार रुपये की दर से राशि प्रदान की जाएगी. वहीं सतत् आजीविका योजना के तहत अब अत्यंत गरीब परिवारों की मदद के लिए एक लाख की जगह दो लाख रुपये दिये जायेंगे. इन योजनाओं के क्रियान्वयन में लगभग 2 लाख 50 हजार करोड़ रुपये की राशि खर्च होगी.

आपको बता दें कि इन कार्यों के लिए बड़ी रकम की जरूरत होने के कारण इन्हें 5 साल में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है. अगर केंद्र सरकार द्वारा बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिल जाता है तो हम बहुत कम समय में यह काम पूरा कर लेंगे. हम 2010 से ही बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग कर रहे हैं. इसके लिए 24 नवंबर 2012 को पटना के गांधी मैदान में और 17 मार्च 2013 को दिल्ली के रामलीला मैदान में बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने के लिए अधिकार रैली भी आयोजित की गई थी.

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