मुजफ्फरपुर शेल्टर होम केस: मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर सहित तीन बरी, सबूतों के अभाव में कोर्ट का फैसला
बिहार के बहुचर्चित मुजफ्फरपुर शेल्टर होम केस में मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर और दो अन्य आरोपियों को विशेष एससी-एसटी कोर्ट ने साक्ष्यों के अभाव में बरी कर दिया है। इन आरोपियों पर 2018 में 11 महिलाओं और उनके चार बच्चों को गायब करने का आरोप लगा था। कोर्ट ने इस मामले में पर्याप्त सबूत न मिलने के कारण ब्रजेश ठाकुर, शाहिस्ता प्रवीण उर्फ मधु और कृष्णा को निर्दोष करार दिया।
स्वाधार गृह कांड का मामला
यह मामला 2018 में मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड के बाद सामने आया था, जिसमें स्वाधार गृह से 11 महिलाओं और चार बच्चों के लापता होने की बात उजागर हुई। इस मामले में अपहरण और अनुसूचित जाति-जनजाति अधिनियम के तहत आरोप दर्ज किए गए थे। आरोपियों में ब्रजेश ठाकुर, शाहिस्ता प्रवीण, कृष्णा और रामानुज शामिल थे। लेकिन चार में से एक आरोपी, रामानुज, की मृत्यु हो चुकी है।
कोर्ट का फैसला और गवाहों का पलटना
इस मामले में विशेष एससी-एसटी कोर्ट में सुनवाई के दौरान अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश अजय कुमार मल्ल ने सबूतों के अभाव में तीनों आरोपियों को बरी करने का आदेश दिया। अभियोजन पक्ष के वकील प्रिय रंजन ने बताया कि गवाहों के पलट जाने और ठोस सबूत न मिलने के कारण आरोपियों को दोषी नहीं ठहराया जा सका।
आरोपियों की वर्तमान स्थिति
हालांकि, बरी किए गए ये तीनों आरोपी पहले से ही मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड में दोषी करार दिए जाने के बाद आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं। उन्हें दिल्ली की तिहाड़ जेल से विशेष पेशी के लिए मुजफ्फरपुर लाया गया था। सुनवाई के बाद उन्हें वापस तिहाड़ जेल भेज दिया गया।
मामले की पृष्ठभूमि
मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड 2018 में तब उजागर हुआ था जब एक सामाजिक ऑडिट रिपोर्ट में बालिका गृह में यौन शोषण और दुर्व्यवहार की घटनाएं सामने आईं। इसके बाद स्वाधार गृह में भी गड़बड़ियों की जांच हुई और 11 महिलाओं तथा चार बच्चों के गायब होने का मामला सामने आया।
आगे की संभावनाएं
इस केस में आरोपियों की रिहाई से पीड़ितों के परिजन और सामाजिक संगठनों में निराशा है। हालांकि, अभियोजन पक्ष ने इस फैसले के खिलाफ ऊपरी अदालत में अपील करने के संकेत दिए हैं।
मुजफ्फरपुर शेल्टर होम केस ने देशभर में महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े किए थे। इस केस का निष्कर्ष उन सभी मामलों में न्याय सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पड़ाव है।