बिहार के पूर्वी चंपारण जिले के रक्सौल प्रखंड संसाधन केंद्र (बीआरसी) में भ्रष्टाचार का एक गंभीर मामला सामने आया है, जहां सक्षमता परीक्षा पास करने वाले शिक्षकों से प्रमाण पत्र जारी करने के बदले रिश्वत ली जा रही थी। इस पूरे मामले का खुलासा तब हुआ जब एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसमें बीआरसी के सहायक हाकिम अनवर को शिक्षकों से 200 रुपये की रिश्वत लेते हुए दिखाया गया। इस खुलासे के बाद शिक्षा विभाग और जिला प्रशासन हरकत में आ गए हैं।
जिला शिक्षा पदाधिकारी ने की जांच
वीडियो के वायरल होने के बाद, जिला शिक्षा पदाधिकारी (डीईओ) संजीव कुमार ने रक्सौल बीआरसी का दौरा किया और मामले की जांच की। जांच के दौरान, डीईओ ने पाया कि शिक्षकों को प्रमाण पत्र जारी करने के बदले बीआरसी के कर्मचारी अनवर खुलेआम 200 रुपये की रिश्वत वसूल रहे थे। इस घटना के बाद अनवर के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई गई है। इसके अलावा, जांच में यह भी खुलासा हुआ कि रक्सौल बीआरसी में दलालों के माध्यम से विभिन्न कार्यों के लिए भी रिश्वत ली जाती थी। इस भ्रष्टाचार में प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी (बीईओ) रंजना कुमारी की भी भूमिका संदिग्ध पाई गई है, जिसके लिए उनके खिलाफ प्रपत्र गठित करने की सिफारिश सरकार से की जाएगी।
जांच में यह भी सामने आया कि बीआरसी रक्सौल में हर काम के लिए रिश्वत लेना आम बात हो गई है। स्कूलों में प्रधान शिक्षकों पर लगे आरोपों को रफा-दफा करने के लिए भी रिश्वत की मांग की जाती है। यह मामला सिर्फ शिक्षकों के प्रमाण पत्र तक सीमित नहीं है, बल्कि विभाग में हर छोटी-बड़ी प्रक्रिया में घूसखोरी का बोलबाला है।
जिला शिक्षा पदाधिकारी संजीव कुमार की इस त्वरित कार्रवाई को भ्रष्टाचार के खिलाफ एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। इससे भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने की उम्मीद जताई जा रही है। वहीं, इस मामले के खुलासे ने शिक्षा विभाग की छवि को गहरी ठेस पहुंचाई है। अब देखना यह है कि सरकार और शिक्षा विभाग इस मामले में और क्या कदम उठाते हैं और किस तरह से इस तरह के मामलों पर सख्ती से रोक लगाई जाती है।