पूर्वी चंपारण: बिहार के पूर्वी चंपारण जिले के चिरैया से चौंकाने वाला मामला प्रकाश में आया है. मामला स्कूल निर्माण के लिए आवंटित राशि से लाखों रुपयों के गबन का गाँव वाले कर रहे हैं दावा,दरअसल बिहार सरकार अपने बजट का बड़ा हिस्सा शिक्षा पर खर्च करती है. राज्य में खासकर लड़कियों की शिक्षा पर जोर दिया जा रहा है. पर विडंबना इस बात की है कि बिहार के पूर्वी चंपारण चिरैया नवसृजित (NPS) राजकीय कन्या विद्यालय सपगड़ा में महिला प्रधान शिक्षिका की हकीकत कुछ और ही है. यहां राजकीय कन्या विद्यालय की छात्राएं स्कूल में बैठने की समुचित व्यवस्था नहीं होने की वजह से उपस्थिति दर्ज करा कर घर लौट जाती हैं.
टॉयलेट और चापाकल भी नदारत,खुले में शौच के लिए मजबूर है यहां के छात्र
स्कूल में टॉयलेट और चापाकल नहीं होने के कारण छात्राओं को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. छात्राएं इस परेशानी की वजह से कई बार स्कूल आने से भी हिचकती है. ग्रामीणों ने बताया कि स्कूल में चारदीवारी का पैसा प्रधानाध्यापिका मीरा कुमारी द्वारा पैसा का निकासी कर चारदीवारी नहीं बनाया गया इससे स्कूल में पशुओं का आना जाना लगा रहता है, बिल्कुल ही लगता नहीं स्कूल है लगता है पशुखाना है
स्कूल के भवन भी जर्जर स्थिति में है इसमें भी घोटाला किया गया है मात्र सद साल में ही स्कूल के भवन का स्थिति जर्जर हो गया है दिवारों पर प्लास्टर भी नहीं किया गया है इससे कभी भी कोई अनहोनी घटना घट सकती है शिक्षा प्रणाली में सुधार लाने के लिए केंद्र से लेकर राज्य की सरकारें एड़ी चोटी को जोर लगा रही हैैं। इसके बावजूद सरकारी स्कूलों की स्थिति दयनीय बनी है। हालात यह है कि बुनियादी सुविधाएं तक स्कूलों से नदारद हैं।