Thursday, November 21, 2024

बिहार में जितिया पर्व पर डूबने से हुई कई मौतें: महिलाओं और बच्चों की गई जान

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बिहार में जितिया पर्व के दौरान मंगलवार को राज्य के कई जिलों में दुखद घटनाएं सामने आईं। नदी और तालाबों में डूबने से आधा दर्जन से अधिक लोगों की मौत हो गई, जिनमें अधिकांश महिलाएं और बच्चे शामिल थे। जितिया पर्व के दौरान स्नान करते समय यह हादसे हुए। राज्य में हाल ही में बाढ़ का संकट गहराया है, जिससे नदियों और तालाबों का जलस्तर लगातार बढ़ता जा रहा है। खासकर गंगा और उसकी सहायक नदियों में जलस्तर में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है, जिसने डूबने की घटनाओं की संख्या में भी इजाफा किया है।

मुंगेर: 24 घंटे में आधा दर्जन लोगों की मौत

मुंगेर जिले में जितिया पर्व के दौरान डूबने से एक बच्ची और चार किशोरों सहित आधा दर्जन लोगों की मौत हो गई। नहाने के दौरान ये सभी गहरे पानी में चले गए और डूब गए। स्थानीय लोगों ने इन्हें बचाने का प्रयास किया, लेकिन समय पर मदद नहीं मिल सकी। मुंगेर की यह घटना राज्य में बढ़ते जलस्तर के खतरों की ओर इशारा करती है, जहां सामान्य स्थिति में भी स्नान करना जोखिम भरा हो गया है।

मोतिहारी: सगी बहनों की मौत

मोतिहारी में डूबने से एक विवाहिता और दो किशोरियों की मौत हो गई। ये तीनों महिलाएं लखौरा थाना के लक्ष्मीपुर सरेही पोखर में जिउतिया पर्व के दौरान स्नान करने गई थीं। पोखर के गहरे पानी में जाने के कारण तीनों की मौत हो गई। मृतकों की पहचान रीमा कुमारी (17), रंजू कुमारी और मंजू कुमारी (13) के रूप में की गई है। रंजू और मंजू सगी बहनें थीं। गांव की अन्य महिलाओं ने इन तीनों को बचाने की कोशिश की, लेकिन सफलता नहीं मिली।

नालंदा: मां-बेटी की दर्दनाक मौत

नालंदा जिले के धनावांडीह गांव के पास धनायन नदी में डूबने से एक मां-बेटी की मौत हो गई। मृतक बबली देवी, जो वार्ड सदस्य थीं, और उनकी पुत्री कीमती कुमारी, जिउतिया पर्व के दौरान स्नान करने गई थीं। घटना तब घटी जब नदी के गहरे पानी में डूब रही अपनी गोतनी को बचाने के लिए बबली देवी ने पानी में छलांग लगा दी। अपनी बहादुरी से उन्होंने गोतनी को बचा लिया, लेकिन खुद और अपनी बेटी को नहीं बचा पाईं। इस हादसे ने पूरे गांव को शोक में डुबो दिया।

पूर्वी चंपारण: दो बच्चों की मौत

पूर्वी चंपारण जिले के नौतन अंचल क्षेत्र के बलुआ गांव में दो बच्चों की मौत चंद्रावत नदी में डूबने से हो गई। मृतक बच्चे, आफान आलम (12) और मुराद अली (8), अन्य बच्चों के साथ जिउतिया पर्व के दौरान नदी में स्नान कर रहे थे। अचानक गहरे पानी में चले जाने के कारण दोनों बच्चे डूब गए। जब तक गांव के लोग वहां पहुंचे, तब तक बच्चों की मौत हो चुकी थी। इस घटना से पूरे गांव में शोक की लहर दौड़ गई है।

बेगूसराय और पश्चिम चंपारण में भी मौतें

बेगूसराय जिले में भी जिउतिया पर्व के दौरान एक महिला की डूबने से मौत हो गई। वहीं, पश्चिम चंपारण में दो बच्चे डूबने से अपनी जान गंवा बैठे। इन हादसों ने बिहार में जिउतिया पर्व के दौरान बढ़ते जलस्रोतों के खतरों को उजागर किया है। स्थानीय प्रशासन इन घटनाओं के बाद सतर्क हो गया है और लोगों को चेतावनी जारी की है कि वे बाढ़ के पानी से दूर रहें और सुरक्षित स्थानों पर ही स्नान करें।

प्रशासनिक चेतावनी और सावधानियाँ

बिहार में लगातार हो रही बाढ़ और जलस्तर में वृद्धि के कारण डूबने की घटनाएं बढ़ रही हैं। प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वे नदियों और तालाबों के किनारे न जाएं, विशेषकर ऐसे पर्वों के दौरान जब सामूहिक स्नान की परंपरा होती है। इसके बावजूद, हर साल जिउतिया और छठ जैसे त्योहारों के दौरान इस तरह की घटनाएं सामने आती हैं। प्रशासन द्वारा लोगों को जागरूक करने और नदियों के किनारे सुरक्षा प्रबंधों की आवश्यकता पर जोर दिया जा रहा है।

निष्कर्ष

बिहार में जिउतिया पर्व के दौरान हुई डूबने की घटनाओं ने राज्य में बाढ़ और जलस्तर बढ़ने के खतरों को और अधिक स्पष्ट कर दिया है। महिलाओं और बच्चों की इस तरह की दुखद मौतें न केवल उनके परिवारों के लिए, बल्कि पूरे समाज के लिए अत्यंत पीड़ादायक हैं। ऐसे पर्वों के दौरान प्रशासन और स्थानीय लोगों को मिलकर सुरक्षा उपायों को सख्ती से लागू करने की आवश्यकता है ताकि भविष्य में ऐसी दुखद घटनाओं को रोका जा सके।

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