पटना के मनीष: 25 उंगलियों वाले युवक का अनोखा रिकॉर्ड, ‘इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स’ में शामिल होगा नाम
पटना के कंकड़बाग इलाके में रहने वाले मनीष कुमार अपने अनोखे शारीरिक स्वरूप के कारण चर्चा में हैं। मनीष के हाथों और पैरों में कुल मिलाकर 25 उंगलियां हैं, जो उन्हें अन्य लोगों से अलग बनाती हैं। उनके दोनों हाथों में सात-सात उंगलियां हैं, जबकि एक पैर में छह और दूसरे में पांच उंगलियां हैं। यह असामान्य शारीरिक बनावट ही उन्हें ‘इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स’ में शामिल करने वाली है। मनीष की यह खासियत उनके जीवन का अभिशाप भी रही है, लेकिन अब यह वरदान बनकर उनकी पहचान का हिस्सा बन चुकी है।
मनीष का जीवन संघर्ष
मनीष का जन्म और परवरिश एक सामान्य परिवार में हुई। उनके माता-पिता ने कभी उनके साथ भेदभाव नहीं किया, लेकिन बचपन से ही उन्हें समाज से तानों और चिढ़ाने का सामना करना पड़ा। जब मनीष स्कूल में थे, तब उनके दोस्त उनकी असामान्य उंगलियों को लेकर उनका मजाक उड़ाते थे। मनीष बताते हैं कि बचपन में उन्हें यह ताने बुरे लगते थे, लेकिन धीरे-धीरे उन्होंने इसे अपनी नियति मानकर स्वीकार कर लिया। हालांकि बाद में उनके दोस्त भी इस स्थिति को समझने लगे और ताने मारना बंद कर दिया।
मनीष का परिवार साधारण है। उनके पिता एक छोटे व्यवसायी हैं और मां गृहिणी हैं। मनीष के दो भाई और एक बहन हैं, जो सामान्य हैं। मनीष के लिए बचपन से ही इस असामान्यता के साथ जीना एक चुनौती रही है, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी।
रोजगार के लिए किया संघर्ष
गया कॉलेज से इंटर की पढ़ाई पूरी करने के बाद मनीष ने सरकारी नौकरी पाने की कोशिश की, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। कई बार परीक्षा देने के बाद भी मनीष को नौकरी नहीं मिल सकी। इसके बाद मनीष ने स्वरोजगार की ओर रुख किया और टाइपिंग सीखने का निर्णय लिया। हालांकि टाइपिंग करना उनके लिए आसान नहीं था, क्योंकि सामान्य इंसान के हाथों में 10 उंगलियां होती हैं, जबकि मनीष के हाथों में 14 उंगलियां थीं। उन्हें टाइपिंग के दौरान काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने इसे एक चुनौती के रूप में लिया और टाइपिंग सीख ली।
टाइपिंग में सफलता
मनीष ने अपने इस अनोखे शारीरिक रूप को बाधा नहीं बनने दिया और टाइपिंग में महारत हासिल की। हालांकि उनकी टाइपिंग की स्पीड सामान्य लोगों की तुलना में थोड़ी कम है, लेकिन वह आराम से टाइप कर लेते हैं। मनीष कंकड़बाग में ही अपना टाइपिंग का काम करते हैं और इसके साथ ही एक वकील के यहां भी टाइपिंग का कार्य करते हैं, जिससे उन्हें अतिरिक्त आय हो जाती है। मनीष बताते हैं कि उन्हें जूते पहनने में काफी दिक्कत होती है, इसलिए वह ज्यादातर स्लीपर या सैंडल पहनते हैं।
ईश्वर की दी हुई इस असामान्यता को स्वीकार किया
मनीष कहते हैं कि बचपन में ताने सुनकर उन्हें बुरा लगता था, लेकिन अब उन्होंने इसे ईश्वर का आशीर्वाद मान लिया है। वह कहते हैं, “शुरू में तो बहुत बुरा लगता था, लेकिन जब ईश्वर ने मुझे ऐसा बनाया है तो मैंने इसे स्वीकार कर लिया। अब मैं अपने जीवन में सकारात्मकता लाने की कोशिश करता हूं और हमेशा बेहतर करने की सोचता हूं।”
अपनी उंगलियों को वरदान मानते हैं मनीष
मनीष अब अपनी इस असामान्यता को अभिशाप नहीं मानते, बल्कि इसे वरदान मानते हैं। उनके अनुसार, जब वह छोटे थे तो लोग उनकी उंगलियों को लेकर चर्चा करते थे और ताने मारते थे, लेकिन अब यही उंगलियां उनकी पहचान बन चुकी हैं। लोग उन्हें उनके अनोखे रूप से पहचानने लगे हैं और उनकी तारीफ करते हैं। मनीष का मानना है कि उनकी यह असामान्यता अब उनके लिए वरदान बन चुकी है, जिसने उन्हें समाज में एक अलग पहचान दी है।
‘इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स’ में शामिल होगा नाम
मनीष की इस अनोखी शारीरिक बनावट ने उन्हें ‘इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स’ में जगह दिलाने का मौका दिया है। मनीष बताते हैं कि उनके एक मित्र ने उन्हें इस रिकॉर्ड के बारे में जानकारी दी और इसके बाद उन्होंने ‘इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स’ की टीम से संपर्क किया। उन्होंने मनीष के शारीरिक स्वरूप का वीडियो और दस्तावेज मांगे, जो मनीष ने उन्हें भेज दिए। इसके बाद मनीष को रिकॉर्ड बुक में शामिल होने की सूचना दी गई। अब कुछ औपचारिकताएं पूरी होनी बाकी हैं, जिसके बाद उनका नाम ‘इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स’ में दर्ज हो जाएगा।
सरकार से गुहार
मनीष ने अपने जीवन में तमाम संघर्षों का सामना किया है और अपनी मेहनत से अपनी तकदीर को लिखने की कोशिश की है। हालांकि उन्होंने राज्य सरकार से भी गुहार लगाई है कि उनके जैसे असामान्य लोगों के लिए सरकार कुछ विशेष योजनाएं बनाए, ताकि उन्हें सामान्य जीवन जीने में सुविधा हो। मनीष का कहना है कि उन्होंने कई बार सरकारी नौकरी के लिए प्रयास किया, लेकिन सफल नहीं हो पाए। वह चाहते हैं कि सरकार उनके जैसे लोगों के लिए कुछ खास कदम उठाए, जिससे उनकी जिंदगी आसान हो सके।
मनीष कुमार की कहानी उनके संघर्ष और साहस की गाथा है। उन्होंने अपनी असामान्यता को कभी अपनी कमजोरी नहीं बनने दिया, बल्कि इसे अपनी ताकत बनाकर अपने जीवन को एक नई दिशा दी। उनकी यह कहानी हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणादायक है, जो जीवन में किसी न किसी चुनौती का सामना कर रहा है। मनीष का नाम अब ‘इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स’ में दर्ज होने जा रहा है, जो उनकी मेहनत और संघर्ष का प्रतीक है।