पटना के इस्कॉन मंदिर में रविवार को हुए विवाद ने पूरे शहर का ध्यान खींचा। भागलपुर इस्कॉन मंदिर से आए ब्रह्मचारियों और पटना इस्कॉन मंदिर के अध्यक्ष के बीच हुई मारपीट ने माहौल गरमा दिया। यह घटना तब हुई जब भागलपुर से आए ब्रह्मचारियों को पटना मंदिर के अध्यक्ष ने मीटिंग के लिए बुलाया था। बैठक के दौरान अचानक विवाद बढ़ा और आरोप है कि अध्यक्ष के इशारे पर बाउंसरों ने भागलपुर के ब्रह्मचारियों के साथ मारपीट की।
इस घटना के बाद पुलिस मौके पर पहुंची, लेकिन अभी तक कोई आधिकारिक मामला दर्ज नहीं किया गया है। पुलिस ने कई एंगल से मामले की जांच शुरू कर दी है। ब्रह्मचारियों का आरोप है कि पटना मंदिर के अध्यक्ष मंदिर में अनैतिक गतिविधियों में शामिल हैं। इन आरोपों को लेकर उन्होंने पहले भी संस्था की अथॉरिटी में शिकायत की थी, जिसके बाद यह मीटिंग आयोजित की गई थी। लेकिन मीटिंग में आरोपियों ने मारपीट की घटना को अंजाम दिया।
ब्रह्मचारियों ने यह भी दावा किया कि मंदिर अध्यक्ष का एक आपत्तिजनक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जो इन आरोपों को और गंभीर बनाता है। उन्होंने पुलिस पर मंदिर के अध्यक्ष के साथ मिलीभगत का आरोप लगाया है और कहा कि उनके शरीर पर चोट के निशान होने के बावजूद पुलिस ने एफआईआर दर्ज नहीं की।
डीएसपी लॉ एंड ऑर्डर कृष्ण मुरारी प्रसाद ने घटना की पुष्टि की और बताया कि पुलिस मामले की गहराई से जांच कर रही है। उन्होंने कहा कि यह विवाद इस्कॉन मंदिर के प्रशासनिक नियंत्रण को लेकर हुआ है, जिसमें प्रबंधन के भीतर गुटबाजी की बात सामने आ रही है।
भागलपुर के ब्रह्मचारियों ने मंदिर प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं, जिसमें भ्रष्टाचार और अनैतिक कार्यों का हवाला दिया गया है। पुलिस ने उनकी शिकायत पर कार्रवाई शुरू कर दी है और मौके से मिले तथ्यों की छानबीन कर रही है। फिलहाल मंदिर प्रशासन ने अपने पक्ष में दावा किया है कि वायरल हो रहा वीडियो लगभग छह साल पुराना है और उस समय मंदिर अध्यक्ष को फंसाने के लिए यह साजिश रची गई थी।
यह घटना इस्कॉन के भीतर प्रशासनिक विवादों को उजागर करती है, जिसमें पारदर्शिता की कमी और आपसी गुटबाजी की समस्याएं सामने आई हैं। फिलहाल, पुलिस मामले की जांच कर रही है और सभी तथ्यों को ध्यान में रखते हुए आगे की कार्रवाई की जाएगी।