सुपौल: मशहूर बॉलीवुड गायक उदित नारायण झा पर बिहार के सुपौल जिले के परिवार न्यायालय ने 10 रुपये का जुर्माना लगाया है। मामला उनकी पहली पत्नी रंजना नारायण झा से जुड़ा है, जिन्होंने दाम्पत्य जीवन पुनः स्थापित करने हेतु वर्ष 2022 में उनके खिलाफ मुकदमा दायर किया था। सोमवार को इस केस में सुनवाई होनी थी, लेकिन उदित नारायण कोर्ट में न तो स्वयं उपस्थित हुए और न ही उनकी ओर से किसी वकील ने जवाब दाखिल किया।
परिवार न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश राहुल उपाध्याय की अदालत ने इसे गंभीरता से लेते हुए उदित नारायण पर 10 रुपये का प्रतीकात्मक दंड अधिरोपित किया। साथ ही, उन्हें अगली सुनवाई के लिए 28 जनवरी 2025 को जवाब दाखिल करने का अंतिम मौका दिया है।
क्या है पूरा मामला?
बता दें कि उदित नारायण की पहली पत्नी रंजना नारायण झा ने वर्ष 2022 में अदालत में एक दाम्पत्य पुनर्स्थापन वाद दायर किया था। उनका कहना है कि उदित नारायण उन्हें लंबे समय से अकेला छोड़कर मुंबई में रह रहे हैं। उन्होंने अदालत से गुहार लगाई कि उन्हें अपने पति के साथ रहने का अधिकार मिलना चाहिए।
रंजना झा के वकील अजय कुमार के अनुसार, इस मामले की सुनवाई सोमवार को होनी थी, लेकिन गायक उदित नारायण की गैरमौजूदगी और उनके वकील की ओर से जवाब न दाखिल किए जाने के कारण कोर्ट ने नाराजगी जताई। इसके बाद अदालत ने 10 रुपये का जुर्माना लगाते हुए अगली सुनवाई के लिए अंतिम तारीख तय की।
रंजना नारायण झा का बयान
रंजना नारायण झा ने मीडिया से बातचीत में कहा कि उन्हें अदालत पर पूरा भरोसा है। उन्होंने बताया, “मैं अब उम्रदराज हो चुकी हूं और बीमार भी रहती हूं। ऐसे में मैं चाहती हूं कि मेरे पति उदित नारायण मुझे अपने साथ रखें।” उन्होंने आरोप लगाया कि जब वह मुंबई जाती हैं, तो उनके पीछे गुंडे लगा दिए जाते हैं, जिससे उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
रंजना झा का कहना है कि वह सिर्फ अपने वैवाहिक अधिकारों की मांग कर रही हैं, जो उन्हें कानूनी रूप से मिलना चाहिए। उन्होंने कहा, “अब मैं सिर्फ अदालत से न्याय की उम्मीद रखती हूं।”
उदित नारायण की चुप्पी
गौरतलब है कि बॉलीवुड के जाने-माने गायक उदित नारायण ने अभी तक इस मामले पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है। उनकी ओर से कोर्ट में जवाब दाखिल न करना उनके लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है।
क्या है दाम्पत्य पुनर्स्थापन वाद?
कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार, दाम्पत्य पुनर्स्थापन वाद एक ऐसा कानूनी अधिकार है, जिसके तहत किसी भी शादीशुदा व्यक्ति को यह अधिकार होता है कि वह अदालत के माध्यम से अपने पति या पत्नी को साथ रहने के लिए बाध्य कर सके। यदि कोई पक्ष बिना किसी उचित कारण के अपने जीवनसाथी को छोड़ देता है, तो पीड़ित व्यक्ति अदालत का सहारा ले सकता है।
अगली सुनवाई पर निगाहें
अब इस मामले में अगली सुनवाई 28 जनवरी 2025 को होगी, जब उदित नारायण को अदालत में उपस्थित होकर अपना जवाब दाखिल करना होगा। कोर्ट के इस सख्त रुख के बाद यह देखना दिलचस्प होगा कि उदित नारायण इस मामले में क्या कदम उठाते हैं।
अदालत का यह आदेश बताता है कि चाहे व्यक्ति कितना ही प्रसिद्ध क्यों न हो, कानून के सामने सभी बराबर हैं। रंजना नारायण झा की उम्मीदें अब पूरी तरह से अदालत के फैसले पर टिकी हैं।