बिहारराजनीति

पगड़ी भी उतरी, बाल भी गए फिर भी संकट में सम्राट चौधरी; कैसे हो गया खेल?

बिहार की राजनीति में एक कहावत है- आगा जायके हऽ तऽ ठंडा कर खा. इसका मतलब यानी लंबे वक्त तक राजनीति में टिके रहना है तो आराम-आराम से एक्शन लीजिए. सम्राट चौधरी इस कहावत का फलसफा नहीं समझ पाए.

DESK: शोहरत की बुलंदी भी पल भर का तमाशा है, जिस डाल पे बैठे हो वो टूट भी सकती है… बशीर बद्र का यह मशहूर शेर बिहार बीजेपी के कई बड़े नेता सम्राट चौधरी के लिए गुनगुना रहे हैं. पिछले 16 महीने से बिहार में बीजेपी को अपने मनमाफिक चलाने वाले सम्राट के पर अब हाईकमान ने कतर दिए हैं. बीजेपी हाईकमान ने पहले उनसे वादे की पगड़ी उतरवाई और अब सम्राट से अध्यक्ष की कुर्सी भी ले ली. बीजेपी ने बिहार में ओल्डगार्ड कैंप के दिलीप जायसवाल को बीजेपी का नया अध्यक्ष नियुक्त किया है.

जायसवाल की नियुक्ति के बाद कहा तो यहां तक जा रहा है कि आने वाले वक्त में सम्राट चौधरी नीतीश कैबिनेट से भी गायब दिख सकते हैं. इन चर्चाओं और सियासी अटकलों से इतर सम्राट कैसे सियासी खेल में पिछड़ते गए, इसकी कहानी भी दिलचस्प है. आइए इसे जानते हैं..

पहले सवाल- सम्राट चौधरी के साथ खेल हो गया?

बिहार की राजनीति में एक कहावत है- आगा जायके हऽ तऽ ठंडा कर खा. इसका मतलब यानी लंबे वक्त तक राजनीति में टिके रहना है तो आराम-आराम से एक्शन लीजिए. सम्राट चौधरी इस कहावत का फलसफा नहीं समझ पाए.

मार्च 2023 में सम्राट को जब बीजेपी की कमान मिली तो वे नीतीश के खिलाफ मुखर हो गए. जानकारों का कहना है कि मुखरता तक ठीक था, लेकिन सम्राट नीतीश के व्यक्तिगत विरोधी हो गए. इसी विरोध में नीतीश को उखाड़ फेंकने का प्रण ले लिए. पगड़ी न उतारने की कसम भी खा ली.

बीजेपी के सूत्रों का कहना है कि मार्च 2023 में जिस परिस्थिति में सम्राट को कमान दी गई थी, उसमें उन्हें लगा नहीं था कि नीतीश फिर एनडीए में आएंगे, लेकिन मौसम से भी ज्यादा अप्रत्याशित नीतीश कुमार ने फरवरी 2024 में पलटी मार दी.

कहा जाता है कि हाईकमान से जब यह संदेश सम्राट तक पहुंचा तो वे खूब नाराज हुए, लेकिन मान-मनौव्वल के बाद मान गए. वजह लोकसभा का चुनाव था.

अब कहानी- नीतीश आए और पर कतर दिए गए

नीतीश कुमार की सरकार में सम्राट चौधरी को डिप्टी सीएम बनाया गया. सम्राट के साथ-साथ बीजेपी ने विजय सिन्हा को भी यही पद सौंप दिया. शुरू में सम्राट के पास कई बड़े विभाग थे, लेकिन चुनाव से पहले हुए कैबिनेट विस्तार में उनके पास सिर्फ वित्त विभाग रह गया. सम्राट को पीडब्ल्यूडी, नगर विकास और सड़क निर्माण जैसे बड़े विभाग नहीं मिले.

लोकसभा चुनाव में भी एक-दो टिकट को छोड़ दिया जाए तो सम्राट की सिफारिश भी ज्यादा नहीं चली, लेकिन चुनाव परिणाम ने उनकी उल्टी गिनती शुरू कर दी. बिहार में बीजेपी की खराब प्रदर्शन के बाद बीजेपी के पुराने गुट ने सम्राट के खिलाफ मोर्चा खोल दिया.

मोर्चा की अगुवाई पूर्व केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे ने की. चौबे ने पार्टी को साफ-साफ कह दिया कि बाहरी व्यक्ति को अध्यक्ष नहीं मानेंगे. कहा जाता है कि चौबे के इस बयान का अंदरुनी तौर पर और भी कई बड़े नेताओं ने समर्थन किया था.

कुर्सी के लिए उतारनी पड़ गई पगड़ी

लोकसभा चुनाव के बाद एक तरफ बीजेपी के भीतर सम्राट के खिलाफ मोर्चाबंदी शुरू हो गया तो दूसरी तरफ जेडीयू भी उनके पगड़ी पहनने से नाराज रहने लगी. दरअसल, सम्राट चौधरी ने वादा किया था कि जब तक नीतीश कुमार को कुर्सी से नहीं उतारूंगा, तब तक पगड़ी नहीं पहनूंगा.

जेडीयू और बीजेपी की सरकार गठन के बाद खुद नीतीश कुमार ने पगड़ी को लेकर सवाल पूछ दिया. चूंकि, नीतीश कुमार की वजह से केंद्र में सरकार है और बीजेपी उनकी कोई नाराजगी मोल नहीं लेना चाहती है, सम्राट इसे अच्छी तरह जानते हैं.

मौके की नजाकत को देखते हुए सम्राट ने पगड़ी उतारने की घोषणा कर दी. हालांकि, इसके लिए उन्होंने राम लला का सहारा लिया. अयोध्या के सरयू में जाकर सम्राट ने अपनी पगड़ी उतार दी.

अब अध्यक्षी गई, चाहत कुछ और थी?

सम्राट चौधरी डिप्टी सीएम के साथ-साथ बीजेपी के अध्यक्ष भी थे. लोकसभा चुनाव के बाद उन्हें एक पद छोड़ना था. बिहार में विधानसभा चुनाव के अब 15 महीने से भी कम का वक्त बचा है. सम्राट की चाहत अध्यक्ष बने रहने की थी.

वे डिप्टी सीएम का पद छोड़ना चाहते थे, लेकिन बीजेपी ने उनसे अध्यक्ष की कुर्सी ले ली. बीजेपी हाईकमान नहीं चाहती है कि चुनाव के वक्त सहयोगियों के साथ उसकी गतिरोध की खबरें मीडिया में छपे.

दिलचस्प बात है कि जिस दिलीप जायसवाल को सम्राट चौधरी की जगह पर बीजेपी का अध्यक्ष बनाया गया है, वो बीजेपी के ओल्ड गार्ड कैंप से आते हैं. अब तक एकतरफा सत्ता और संगठन का संचालन कर रहे सम्राट के लिए यह भी एक झटका है.

दिलीप जायसवाल का नीतीश कुमार से भी ट्यूनिंग बढ़िया है. अध्यक्ष बनते ही जायसवाल ने बिहार में नीतीश के नेतृत्व में काम करने की बात दोहराई है.

डिप्टी सीएम की कुर्सी पर भी संकट?

बिहार के 2 नेताओं ने सम्राट चौधरी को लेकर भविष्याणी की है. पहली भविष्यवाणी प्रशांत किशोर की है. पीके के मुताबिक नीतीश कुमार के फेर में सम्राट फंस गए हैं. नीतीश उन्हें कैसे निपटाएंगे, यह पता भी नहीं चल पाएगा.

दूसरी भविष्यवाणी लालू यादव की बेटी रोहिणी आचार्य की है. रोहिणी के मुताबिक बीजेपी जल्द ही उन्हें कैबिनेट से भी हटा सकती है. कहा जा रहा है कि सम्राट आगे क्या करेंगे, यह आने वाले वक्त में बिहार में होने वाले कैबिनेट विस्तार में तय हो जाएगा.

बिहार में नीतीश सरकार का एक छोटा कैबिनेट विस्तार प्रस्तावित है, जो अगस्त के मध्य में हो सकता है.

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