Bihar Teacher Transfer: बिहार में शिक्षक ट्रांसफर नीति पर पिछले 85 दिनों से मंथन जारी है, लेकिन अभी तक कोई स्पष्ट समाधान सामने नहीं आया है। सरकारी स्कूलों के शिक्षकों की तबादला और पदस्थापना नीति को लेकर कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
शिक्षा विभाग की तैयारियों से यह स्पष्ट हो गया है कि शिक्षक पति-पत्नी को एक ही स्कूल में नियुक्ति नहीं दी जाएगी। यह निर्णय इसलिए लिया जा रहा है क्योंकि एक ही स्कूल में दोनों की नियुक्ति से कई प्रकार की व्यावहारिक दिक्कतें खड़ी हो सकती हैं। हालांकि, उन्हें एक ही ग्राम पंचायत में नियुक्त किया जा सकता है। फिलहाल, अंतिम निर्णय के लिए समिति मंथन कर रही है।
आंकड़ों की कमी से नीति निर्माण में मुश्किल
पॉलिसी तैयार करने में सबसे बड़ी चुनौती जरूरी आंकड़ों की कमी है। विभाग के पास ऐसे कोई ठोस आंकड़े नहीं हैं जिनसे यह पता चल सके कि कौन से शिक्षक पति-पत्नी हैं। नियोजन के दौरान यह जानकारी हासिल नहीं की गई थी। यदि यह आंकड़ा इकट्ठा कर भी लिया जाए, तो उसकी सत्यता को सिद्ध करना एक जटिल और श्रमसाध्य कार्य होगा। इसके लिए मैरिज सर्टिफिकेट जैसे दस्तावेजों की जरूरत होगी, जो भी एक चुनौतीपूर्ण प्रक्रिया हो सकती है।
तबादले के लिए गंभीर बीमारियों की परिभाषा में उलझन
एक और प्रमुख चुनौती तबादला के लिए “गंभीर बीमारियों” की परिभाषा तय करना है। बिहार सरकार ने 19 प्रकार की बीमारियों को गंभीर माना है, लेकिन शिक्षा विभाग का मानना है कि पढ़ाई में बाधा डालने वाली सभी बीमारियां इस सूची में नहीं आती हैं। उदाहरण के तौर पर, चलने-फिरने में कठिनाई जैसी समस्या गंभीर बीमारियों की सरकारी सूची में शामिल नहीं है, जबकि यह शिक्षकों की कार्यक्षमता को प्रभावित कर सकती है। ऐसे में विभाग के लिए यह तय करना मुश्किल हो रहा है कि किन बीमारियों को तबादले के लिए गंभीर माना जाए।
शिक्षा विभाग इन चुनौतियों का समाधान निकालने के लिए प्रयासरत है, लेकिन फिलहाल नीति पर अंतिम निर्णय का इंतजार किया जा रहा है।