Bihar Land Survey: बिहार सरकार ने जमीन सर्वे से जुड़ी एक महत्वपूर्ण समस्या का समाधान करने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। राज्य में भूमि सर्वेक्षण के दौरान “कैथी लिपि” का सही ज्ञान न होने के कारण लोगों और सर्वे कर्मियों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा था। कैथी लिपि, जो एक पुरानी और ऐतिहासिक लिपि है, का उपयोग पुराने भूमि दस्तावेज़ों में किया गया था। समय के साथ इस लिपि का ज्ञान लुप्त होता गया, जिससे आम नागरिकों और सरकारी कर्मियों को अपने दस्तावेज़ पढ़ने और समझने में कठिनाई हो रही थी।
राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने इस समस्या को गंभीरता से लेते हुए, कैथी लिपि को पढ़ने और समझने वाले विशेषज्ञों की सेवाएं लेना शुरू कर दिया है। ये विशेषज्ञ विभिन्न जिलों में जाकर सर्वे कर्मियों को इस लिपि का प्रशिक्षण दे रहे हैं, ताकि सर्वे के दौरान कोई भी बाधा न आए। इस प्रशिक्षण को प्राथमिकता के आधार पर उन जिलों में पहले दिया जा रहा है, जहां पुराने “कैडेस्ट्रल खतियान” के आधार पर राजस्व से जुड़े कार्य होते हैं।
इसके साथ ही, सरकार ने निर्णय लिया है कि कैथी लिपि की एक पुस्तिका छपवा कर सर्वे में शामिल कर्मियों के बीच बांटी जाएगी। यह पुस्तिका अमीन, कानूनगो, शिविर प्रभारी, राजस्व कर्मचारी, और अधिकारियों तक पहुंचाई जाएगी, ताकि वे भूमि सर्वेक्षण के कार्यों को सुगमता से कर सकें। इस कदम से कैथी लिपि के अभाव में हो रही गलतियों और देरी को कम किया जा सकेगा।
इस पुस्तिका को केवल सर्वे कर्मियों तक सीमित नहीं रखा जाएगा, बल्कि इसे डिजिटल माध्यमों से भी अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाया जाएगा। राजस्व विभाग इसे सर्वे निदेशालय की वेबसाइट और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अपलोड करेगा। इसके अलावा, आम जनता को जागरूक करने के लिए अखबारों में पूरे पेज का विज्ञापन भी दिया जाएगा, ताकि लोग अपने पुराने दस्तावेजों को सही ढंग से पढ़ सकें और समझ सकें।
कैथी लिपि की विशेषताएं और महत्व
कैथी लिपि एक ऐतिहासिक लिपि है, जिसका उपयोग प्राचीन और मध्यकालीन उत्तर भारत में व्यापक रूप से होता था। इसे ‘कयथी’ या ‘कायस्थी’ के नाम से भी जाना जाता है। खासकर बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में इस लिपि का उपयोग भूमि अभिलेखों में किया जाता था। कैथी लिपि की प्रमुख विशेषता यह है कि इसमें अक्षरों के ऊपर शिरोरेखा नहीं होती और सभी अक्षर एक साथ लिखे जाते हैं। इस लिपि में संयुक्त अक्षर जैसे ‘ऋ’, ‘क्ष’, ‘त्र’, ‘ज्ञ’ का इस्तेमाल नहीं किया जाता, जिससे इसे पढ़ने में आज के समय में दिक्कत होती है।
हालांकि, ऐतिहासिक रूप से यह लिपि बहुत सरल और लोकप्रिय थी, इसलिए इसे ‘जनलिपि’ कहा जाता था। लेकिन आधुनिक युग में कैथी लिपि का उपयोग कम हो गया है और इसे समझने वाले लोगों की संख्या भी घटती जा रही है। यही कारण है कि आज भूमि से जुड़े पुराने दस्तावेज़ों को समझना एक चुनौती बन गया है।
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बिहार सरकार के इस नए निर्णय से न केवल सरकारी प्रक्रिया तेज होगी, बल्कि आम जनता को भी पुराने खतियान और दस्तावेजों को समझने में मदद मिलेगी। भूमि सुधार मंत्री दिलीप जायसवाल के अनुसार, यह कदम राज्य के भूमि सर्वेक्षण प्रक्रिया को और भी अधिक प्रभावी और सरल बनाएगा, जिससे किसी भी नागरिक को अपने भूमि दस्तावेजों को लेकर कोई परेशानी न हो।