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Bihar Land Survey 2024: बिहार भूमि सर्वेक्षण: नियमावली में संशोधन की तैयारी, समय सीमा बढ़ाने पर हो सकता है फैसला

Bihar Land Survey 2024: बिहार में चल रहे विशेष भूमि सर्वेक्षण के अंतर्गत जमीन से जुड़े कागजातों को जमा करने की समय सीमा बढ़ाने की तैयारी चल रही है। वर्तमान में बिहार विशेष सर्वेक्षण एवं बंदोबस्त नियमावली, 2012 के नियम 3(1) के तहत 30 कार्य दिवसों के भीतर रैयतों को स्वघोषणा पत्र जमा करना अनिवार्य है, जिसे विशेष परिस्थितियों में 15 दिन तक बढ़ाया जा सकता है। हालांकि, अब नियमावली में संशोधन कर इस समय सीमा को और बढ़ाने का प्रस्ताव तैयार हो रहा है।

पिछले सप्ताह बिहार के भूमि सुधार और राजस्व मंत्री डॉ. दिलीप जायसवाल ने संकेत दिया था कि रैयतों को कागजात जमा करने के लिए तीन महीने तक का समय दिया जा सकता है। विभागीय स्तर पर यह विचार चल रहा है कि समय सीमा को तीन महीने से बढ़ाकर चार या साढ़े चार महीने तक किया जाए, ताकि रैयतों को पर्याप्त समय मिल सके और स्वघोषणा से जुड़े विवादों को जल्द से जल्द सुलझाया जा सके। माना जा रहा है कि यह विवाद सुलझ जाने से सर्वेक्षण की प्रक्रिया में तेजी आएगी, क्योंकि इसे अब तक की सबसे बड़ी बाधा के रूप में देखा जा रहा है।

नियमावली के अनुसार, वर्तमान में अधिसूचना के प्रकाशन की तिथि से 30 कार्य दिवसों के भीतर स्वघोषणा पत्र जमा करना आवश्यक है, जिसे विशेष परिस्थितियों में 15 दिनों तक बढ़ाया जा सकता है। साथ ही, स्वघोषणा पत्र के सत्यापन के लिए अधिकतम 15 दिन का समय दिया गया है। कुल मिलाकर, रैयतों को 45 दिनों का समय मिलता है। लेकिन अब इसे बढ़ाने की मांग की जा रही है।

इस प्रस्ताव को अंतिम रूप देने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सहमति आवश्यक होगी, क्योंकि यह अभियान मुख्यमंत्री की प्राथमिकता में है। सरकार की योजना है कि 2025 के विधानसभा चुनाव से पहले सर्वेक्षण का कार्य पूरा हो जाए। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कई बार यह स्पष्ट किया है कि भूमि सर्वेक्षण उनके शासनकाल का महत्वपूर्ण कार्य है और वे इस पर विशेष ध्यान दे रहे हैं।

Bihar Land Survey 2024
Bihar Land Survey 2024

नियमावली में संशोधन केवल कार्यपालक आदेश से संभव नहीं होगा, इसके लिए राज्य कैबिनेट की मंजूरी आवश्यक है। विभाग इस संशोधन प्रस्ताव को जल्द से जल्द तैयार कर अगली कैबिनेट बैठक में मंजूरी के लिए भेजने की कोशिश कर रहा है, ताकि समय पर निर्णय लिया जा सके और सर्वेक्षण प्रक्रिया में किसी भी तरह की देरी से बचा जा सके।

बिहार भूमि सर्वेक्षण 2024: मुख्य बिंदु (Bihar Land Survey 2024)

  1. उद्देश्य: बिहार भूमि सर्वेक्षण 2024 का उद्देश्य राज्य में सटीक भूमि रिकॉर्ड तैयार करना और भूमि विवादों का समाधान करना है
  2. दस्तावेज जमा करने की समय सीमा बढ़ाई जा सकती है:
    • सरकार रैयतों (भूमि मालिकों) को कागजात जमा करने के लिए अधिक समय देने पर विचार कर रही है।
    • वर्तमान में, बिहार विशेष सर्वेक्षण एवं बंदोबस्त नियमावली, 2012 (नियम 3(1)) के अनुसार, अधिसूचना जारी होने के 30 कार्य दिवसों के भीतर स्व-घोषणा पत्र जमा करना अनिवार्य है, जिसे विशेष परिस्थितियों में 15 दिन तक बढ़ाया जा सकता है।
    • संशोधन प्रस्ताव के अनुसार, यह समय सीमा बढ़ाकर तीन महीने या साढ़े चार महीने तक की जा सकती है।
  3. सत्यापन की समय सीमा:
    • वर्तमान में, स्व-घोषणा पत्र जमा करने के बाद 15 दिन के भीतर इसका सत्यापन किया जाना अनिवार्य है।
    • प्रस्तावित संशोधन के तहत सत्यापन के लिए भी अधिक समय दिया जा सकता है, जिससे विवादों का समाधान तेजी से हो सकेगा।
  4. मुख्य चुनौतियाँ:
    • सर्वेक्षण की सबसे बड़ी बाधा स्व-घोषणा पत्र से जुड़ी देरी रही है। एक बार इस मुद्दे का समाधान हो जाने पर सर्वेक्षण प्रक्रिया तेजी से आगे बढ़ने की उम्मीद है।
  5. मुख्यमंत्री की भूमिका:
    • मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस भूमि सर्वेक्षण परियोजना की करीबी निगरानी कर रहे हैं, क्योंकि यह उनके शासन का एक प्रमुख अभियान है।
    • नियमों में किसी भी संशोधन के लिए मुख्यमंत्री की सहमति आवश्यक होगी।
  6. समाप्ति लक्ष्य:
    • सरकार का लक्ष्य 2025 के विधानसभा चुनावों से पहले भूमि सर्वेक्षण को पूरा करना है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कई बार इस समय सीमा की ओर संकेत किया है।
  7. कैबिनेट की मंजूरी आवश्यक:
    • बिहार विशेष सर्वेक्षण एवं बंदोबस्त नियमावली, 2012 में संशोधन केवल कार्यपालक आदेश से नहीं किया जा सकता। इसके लिए राज्य कैबिनेट की मंजूरी जरूरी है। संशोधन प्रस्ताव को जल्द ही कैबिनेट की बैठक में रखा जाएगा।
  8. भूमि विवादों पर प्रभाव:
    • समय सीमा बढ़ाने और सर्वेक्षण प्रक्रिया से भूमि विवादों में कमी आने की उम्मीद है, क्योंकि इससे अधिक सटीक और प्रमाणित भूमि रिकॉर्ड उपलब्ध होंगे।

ये कदम बिहार सरकार के भूमि रिकॉर्ड को आधुनिक बनाने और राज्य में लंबे समय से चले आ रहे भूमि विवादों को हल करने की दिशा में उठाए गए हैं।

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