प्रयागराज/पटना: बिहार सरकार को एक बड़े झटके का सामना करना पड़ा है। बेतिया राजघराने की ऐतिहासिक और आलीशान हवेली, जो लंबे समय से विवाद का विषय बनी हुई थी, अब आधिकारिक रूप से उत्तर प्रदेश सरकार को सौंप दी गई है। प्रयागराज के जिलाधिकारी रवींद्र कुमार मंढाड़ ने इस पर अंतिम मुहर लगाते हुए सिविल लाइंस स्थित इस प्राचीन भवन को यूपी राज्य के अधिकार में कर दिया है।
यह वही ऐतिहासिक हवेली है जो बेतिया के अंतिम राजा हरेंद्र किशोर सिंह की दूसरी पत्नी जानकी कुंवर सिंह का निवास स्थान रही है। स्ट्रेची रोड पर स्थित इस हवेली का ऐतिहासिक महत्व तो है ही, अब इसका प्रशासनिक उपयोग भी किया जाएगा। जिलाधिकारी के अनुसार, इस भवन की जमीन पर एक विशिष्ट अतिथि गृह (VIP Guest House) और औद्योगिक न्यायाधिकरण एवं श्रम न्यायालय के लिए नए भवन बनाए जाएंगे।
बिहार का दावा खारिज
इस फैसले से बिहार सरकार को जोर का झटका लगा है, क्योंकि बीते छह महीनों से बिहार राजस्व परिषद इस संपत्ति पर अपना दावा जता रही थी। उन्होंने प्रयागराज के कटरा क्षेत्र में एक कार्यालय भी खोला और न्यायालय के माध्यम से कब्जा लेने की प्रक्रिया में जुटे थे। मगर उत्तर प्रदेश के पक्ष में आए आदेश ने बिहार की उम्मीदों पर पानी फेर दिया।
राजस्व परिषद का कहना था कि यह जमीन ऐतिहासिक रूप से बिहार के अंतर्गत आती है और इसे वापस बिहार सरकार को मिलनी चाहिए। हालांकि, प्रशासनिक दस्तावेजों और कानूनी आधारों पर फैसला लेते हुए जिलाधिकारी ने इस संपत्ति को उत्तर प्रदेश सरकार के पक्ष में कर दिया।
जानकी कुंवर सिंह की ऐतिहासिक विरासत
इस हवेली की कहानी काफी पुरानी है। बताया जाता है कि इसे जानकी कुंवर सिंह ने अपने जीवनकाल में बनवाया था। 24 नवंबर 1954 को इसी हवेली में उनका निधन हुआ था। उनके जाने के बाद यहां उनके सेवक और संबंधित लोग रहना शुरू कर दिए। धीरे-धीरे हवेली उत्तर प्रदेश सरकार के नियंत्रण में आ गई और यहां औद्योगिक न्यायाधिकरण का कार्यालय खोल दिया गया, जो अब भी यहीं कार्यरत है।
प्रयागराज शहर को मिलेगा लाभ
इस फैसले के बाद प्रयागराज प्रशासन इसे अपने विकास के एक अहम स्तंभ के रूप में देख रहा है। जिलाधिकारी रवींद्र कुमार मंढाड़ ने कहा कि यह परियोजना शहर में उच्चस्तरीय प्रशासनिक और न्यायिक सुविधा प्रदान करने में मदद करेगी। साथ ही, VIP अतिथियों के ठहरने के लिए एक शानदार व्यवस्था भी होगी।
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यह फैसला न सिर्फ दो राज्यों के बीच चल रहे संपत्ति विवाद को समाप्त करता है, बल्कि उत्तर प्रदेश के लिए एक बड़ी उपलब्धि के रूप में देखा जा रहा है। वहीं, बिहार सरकार को अपनी ऐतिहासिक विरासत गवांने का अफसोस रह गया है। इस प्रकरण ने यह स्पष्ट कर दिया कि ऐतिहासिक संपत्तियों के संरक्षण और स्वामित्व को लेकर राज्यों को पहले से ही स्पष्ट रणनीति बनाकर चलना होगा.