बिहार

बिहार में पुल, रेल इंजन के बाद अब बेच दिया सरकारी स्कूल, बेचने वाले निकले पूर्व छात्र

DESK: पिछले दिनों बिहार के पूर्णिया में, पूर्णिया कोर्ट स्टेशन के बाहर खड़ी रेल इंजन को डिवीजन मैकेनिकल इंजीनियर ने स्क्रैप माफिया के हाथ बेच दिया था अब इस जिले में ही सरकारी स्कूल की जमीन बेचने का मामला सामने आया है. पूर्णिया के सदर थाना क्षेत्र में राजा पृथ्वी चंद उच्च माध्यमिक विद्यालय की 8 कट्ठा 14 धूर जमीन को भूमाफियाओं ने बेच दिया. मामले की जानकारी जब स्कूल के हेडमास्टर को हुई तो उन्होंने 6 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कराया है. गौर करने वाली बात ये है कि स्कूल की जमीन खरीदने और बेचने वाले दोनों स्कूल के छात्र रहे हैं.

जमीन को 5 सितंबर को ही बेच दिया गया था लेकिन इसका खुलासा शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के के पाठक के सकूल दौरे के बाद हुआ. स्कूल की जमीन दान देने वाले राजा पृथ्वी चंद लाल के वंशज बनकर दलालों ने विद्यालय की जमीन बेची है. मामला सामने आने के बाद पू्र्णिया के डीएम ने तुरंत एक्शन लिया और 12 घंटे के अंदर जमीन का स्कूल के नाम से म्यूटेशन करा दिया गया.

100 साल पहले राजा ने दिया था स्कूल के लिए जमीन दान

करीब सौ साल पहले पूर्णिया सिटी में रहने वाले राजा पृथ्वी चन्द्र ने स्कूल के लिए जमीन बिहार सरकार को दान दिया था. यही वजह है कि स्कूल का नाम भी उनके नाम पर राजा पृथ्वी चंद उच्च माध्यमिक विद्यालय है. लेकिन शिक्षा विभाग की उदासीनता की वजह से स्कूल की जमीन के एक बड़े हिस्से का म्यूटेशन नहीं कराया गया था. इधर खुद को राजा के वंशज कहने वालों को जब इसकी जानकारी हुई तो उन्होंने जमीन को मंजूर आलम और शहबाज आलम को बेच दिया.

6 लोगों के खिलाफ FIR

मामला सामने आने के बाद आनन फानन में डीएम के आदेश पर जमीन का म्यूटेशन स्कूल के नाम कर दिया गया है. साथ ही स्कूल के प्रधानाध्यापक अशोक कुमार यादव ने सदर थाना में आवेदन देकर विद्यालय की जमीन को फर्जी तरीके से बेचने के मामले में पूर्णिया सिटी नाका निवासी मो.नमंजूर आलम, जाफरीबाग के निवासी शाहबाज आलम, अनिल गुप्ता, पहचान करने वाले सिटी के नवरतन चौक निवासी विकेश कुमार सिंह और गवाह बने चिमनी बाजार निवासी मो० कौशर आलम व मो. तौसिफ अख्तर के खिलाफ 420 का मामला दर्ज कराया है.

रजिस्ट्री ऑफिस की भूमिका भी शक के घेरे में

इधर जमीन रजिस्ट्री किए जाने के बाद रजिस्ट्री ऑफिस की भूमिका भी शक के घेरे में है. क्योंकि जमीन की रजिस्ट्री से पहले स्थल निरीक्षण किया जाता है और वहां फोटोग्राफी भी कराई जाती है. इसके बाद सवाल उठ रहा है कि स्थल निरीक्षण करने वालों को यह कैसे पता नहीं चला कि जमीन स्कूल की है जबकि वहां स्कूल की पुरानी इमारत भी मौजूद है.

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