भारत में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (EVs) के बढ़ते इस्तेमाल का असर अब पेट्रोल और डीजल की खपत पर भी दिखाई देने लगा है। सरकार की तरफ से इलेक्ट्रिक गाड़ियों को बढ़ावा देने के लिए दी जा रही सब्सिडी और टैक्स छूट ने इस क्षेत्र में बदलाव की दिशा को और तेज कर दिया है। एसबीआई सिक्योरिटीज की ताजा रिपोर्ट इसके संकेत दे रही है, जिसमें पेट्रोल और डीजल की खपत में भारी गिरावट देखने को मिली है।
रिपोर्ट के अनुसार, फरवरी 2025 में पेट्रोल और डीजल की खपत अपने निचले स्तर पर पहुंच गई। फरवरी महीने में 31 लाख टन पेट्रोल और 71 लाख टन डीजल की खपत हुई, जो पिछले कई महीनों में सबसे कम है। अगर जनवरी 2025 से तुलना की जाए, तो पेट्रोल की खपत में 5.4 प्रतिशत और डीजल की खपत में 5.1 प्रतिशत की गिरावट आई है। हालांकि, पिछले साल के फरवरी महीने के मुकाबले पेट्रोल की खपत में 3.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी गई है, जबकि डीजल की खपत 1.2 प्रतिशत घट गई है।
पेट्रोल-डीजल की डिमांड में गिरावट के कारण
पेट्रोल की डिमांड में गिरावट के प्रमुख कारणों में इलेक्ट्रिक, हाइब्रिड और सीएनजी वाहनों की बढ़ती बिक्री शामिल है। 2024 में इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री में 27 प्रतिशत का इज़ाफा हुआ है, जो इसके प्रति बढ़ते हुए रुझान को दर्शाता है। इसके अलावा, सीएनजी और हाइब्रिड गाड़ियों का इस्तेमाल भी पेट्रोल की डिमांड को कम कर रहा है।
डीजल की खपत में गिरावट का मुख्य कारण ट्रांसपोर्टेशन सेक्टर में इलेक्ट्रिक और वैकल्पिक ईंधन (जैसे सीएनजी, एलएनजी) की बढ़ती लोकप्रियता है। खासकर लो-मोटर व्हीकल (LMV) सेगमेंट में इलेक्ट्रिक गाड़ियों का इस्तेमाल बढ़ा है, जिससे डीजल की खपत में कमी आई है। इसके अलावा, ट्रक और बसों के लिए भी इलेक्ट्रिक और वैकल्पिक ईंधन के विकल्प उभर कर सामने आ रहे हैं, जिनका उपयोग तेजी से बढ़ रहा है। रेलवे के डीजल उपभोग में भी कमी आई है, क्योंकि भारतीय रेलवे अब अपनी सेवाओं में इलेक्ट्रिक इंजन का ज्यादा उपयोग कर रहा है।
भारत की पेट्रोलियम पर निर्भरता
केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री ने इस बारे में टिप्पणी करते हुए कहा कि भारत अभी भी अपनी ऊर्जा जरूरतों के लिए मुख्य रूप से पेट्रोलियम के आयात पर निर्भर है, और इस आयात पर निर्भरता 87 प्रतिशत तक पहुंच चुकी है। इस स्थिति में बदलाव लाने के लिए इलेक्ट्रिक गाड़ियों के उपयोग को बढ़ाना बेहद महत्वपूर्ण है, जो न सिर्फ पेट्रोलियम के आयात को कम कर सकते हैं, बल्कि पर्यावरण पर भी सकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं।
इस बदलाव से यह साफ है कि सरकार और उद्योगों की ओर से उठाए गए कदम अब जमीन पर असर दिखाने लगे हैं, और आने वाले समय में इलेक्ट्रिक गाड़ियों की बढ़ती लोकप्रियता पेट्रोल-डीजल की खपत में और कमी ला सकती है, जिससे देश की ऊर्जा नीति मजबूत होगी।